नई दिल्ली
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में मंदी की संभावना से इन्कार नहीं किया है। उनके इस बयान के बाद सोमवार को शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिली। निवेशक देश के आर्थिक विकास पर ट्रंप के टैरिफ के असर से आशंकित हैं। ट्रंप ने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा कि देश की इकॉनमी में बदलाव का एक दौर आएगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें इस साल मंदी की आशंका दिख रही है तो उन्होंने कहा कि जो कुछ हम कर रहे हैं वह बहुत बड़ा काम है और यह बदलाव का दौर है। लगातार दो तिमाहियों में निगेटिव जीडीपी ग्रोथ को मंदी कहा जाता है।
निवेशक भले ही मंदी की आशंका से घबराए हुए हैं लेकिन यह अमेरिका की सरकार के लिए फायदेमंद हो सकती है। इस साल अमेरिका का 9.2 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज मैच्योर हो रहा है या उसे रिफाइनेंस किया जाना है। इस रिफाइनेंसिंग से पहले रेट्स में कमी का सबसे शॉर्टकट तरीका मंदी है। पिछले दो महीने में 10 साल की मैच्योरिटी वाले बॉन्ड की यील्ड में 60 बेसिस पॉइंट की कमी आई है। देश में अनिश्चितता बढ़ने और मंदी की आशंका से ऐसा हुआ है। लेकिन मंदी एक तरह से दरों में कटौती की गारंटी है। इतिहास में हर बार ऐसा हुआ है।
मंदी है समाधान?
अमेरिका की सरकार की सबसे बड़ी समस्या उच्च ब्याज दर है। ब्याज दर बढ़ने से डेट सर्विस की लागत बढ़ गई है। अमेरिका की फेडरल सरकार का कर्ज 36.2 ट्रिलियन डॉलर है जिसका एवरेज इंटरेस्ट रेट 3.2 फीसदी है जो कि 2010 के बाद सबसे अधिक है। यही वजह है कि अमेरिका की सरकार के लिए रेट कट सबसे जरूरी है। सच्चाई यह है कि अमेरिका में कर्ज का संकट अब सिर से ऊपर जा चुका है। राष्ट्रपति ट्रंप भी इस बात को समझते हैं लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। अब तो मंदी ही इसका एकमात्र समाधान लगता है।