चीन के खिलाफ अमेरिका का बड़ा ऐक्‍शन, तेल रिफाइनरी पर लगाया प्रतिबंध, भारत को क्‍यों रहना होगा सतर्क?

नई दिल्‍ली:

अमेरिका ने ईरान पर दबाव बढ़ाते हुए चीन की एक तेल रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाया है। यह रिफाइनरी हूत‍ियों से जुड़े जहाजों से लगभग 50 करोड़ डॉलर का ईरानी तेल खरीदती थी। अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को यह ऐलान किया। चीन ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। उसने कहा है कि अमेरिका चीन और ईरान के बीच सामान्य व्यापार में बाधा डाल रहा है। अमेरिका की यह कार्रवाई दिखाती है कि ग्‍लोबल एनर्जी मार्केट कितने जटिल रूप से भू-राजनीतिक संघर्षों से जुड़े हुए हैं। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है। उसे इन जटिलताओं को सावधानी से देखना होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ बनाने की नीति फिर से शुरू की है। इसके तहत कई लोगों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इनमें ईरान के पेट्रोलियम मंत्री भी शामिल हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार, यह तेल ईरान के ‘शैडो फ्लीट’ टैंकरों से ले जाया गया था। इनमें हूती और ईरानी रक्षा मंत्रालय से जुड़े जहाज भी शामिल थे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी एक चीनी तेल टर्मिनल पर प्रतिबंध लगाए हैं।

ईरान को आर्थिक रूप से तोड़ने का प्‍लान
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि ईरानी तेल की रिफाइनरी की खरीद ईरानी शासन के लिए आर्थिक जीवन रेखा है। यह शासन दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ा समर्थक है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि ये प्रतिबंध राष्ट्रपति ट्रंप के ‘अधिकतम दबाव’ अभियान के तहत लगाए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य ईरान के तेल निर्यात को शून्य करना है। चीन ईरान के तेल का सबसे बड़ा आयातक है। ईरान इस तेल राजस्व का इस्‍तेमाल अमेरिकी सहयोगियों पर हमले और दुनिया भर में आतंकवाद का समर्थन करने के लिए करता है।

भारत को अब ज्‍यादा सतर्क रहने की जरूरत
अमेरिका के ऐक्‍शन का चीन ने कड़ा विरोध किया है। यह दोनों देशों के तल्‍ख रिश्‍तों में और गिरावट ला सकता है। भारत को भी इस पूरे घटनाक्रम से सतर्क हो जाने की जरूरत है। यह अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को भी उजागर करता है। साथ ही संकेत देता है कि भारत को इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को संतुलित करने की कितनी ज्‍यादा जरूरत है। यह ऐक्‍शन दर्शाता है कि अमेरिका अपने प्रतिबंधों को लागू करने के लिए कितना तैयार है। यहां तक कि चीन जैसी प्रमुख आर्थिक शक्ति के खिलाफ भी वह कतई संकोच नहीं करने वाला है। ऐसे में भारत को उन संस्थाओं के साथ व्यापार करते समय सतर्क रहने की जरूरत है जो अमेरिकी प्रतिबंधों के अधीन हो सकते हैं। भारत को अपने तेल स्रोतों में विविधता लाने और र‍िन्‍यूएबल एनर्जी में निवेश करने की जरूरत है ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके।

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