इंफाल,
सुप्रीम कोर्ट के जजों का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मणिपुर पहुंचा है. 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने जातीय हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों से मुलाकात की और मौजूदा हालातों का जायजा लिया. मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मणिपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश एन. कोटिस्वर सिंह ने कुकी समुदाय की बहुलता वाला जिला चुराचांदपुर का दौरा ना करने को लेकर कहा है कि शांति बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है. यही सबका उद्देश्य भी होना चाहिए. किसी भी स्थिति को भड़काना उचित नहीं.
आजतक संवाददाता नलिनी शर्मा से खास बातचीत के दौरान न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह ने कहा, “हमें सोच-समझकर कर कदम उठाना चाहिए, जिससे समाज के किसी भी वर्ग को उकसावा नहीं मिले. हमें समस्यायों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान करना चाहिए. मुझे कुकी-बहुल इलाके चुराचांदपुर ना जाने का कोई पछतावा नहीं है. मुझे विश्वास है कि मैं जल्द ही चुराचांदपुर भी जाऊंगा.”न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह ने भावुक होते हुए बताया कि चुराचांदपुर जिले में उनके बहुत सारे अच्छे दोस्त हैं. कोटिस्वर ने वहां के लोगों से मिलने और गले लगाने की इच्छा जाहिर की.
क्या है पूरा मामला?
न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह के दौरे के पहले चुराचांदपुर जिले के बार एसोसिएशन ऑल मणिपुर बार एसोसिएशन (एएमबीए) ने बयान जारी कर कहा, “शांति और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में मैतेई समुदाय के जज को हमारे जिले में कदम नहीं रखेंगे. चाहे उनका नाम क्यों ना सुप्रीम कोर्ट के 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल हो.”
मणिपुर में मई 2023 से हुई जातीय हिंसा में अब तक 250 से ज्योदा लोग मारे गए और हजारों लोग विस्थापित हुए. सुप्रीम कोर्ट के जजों का यहा दौरा अपनी तरह का पहला दौरा है जो कि ऐतिहासिक है. चुराचांदपुर जिला कुकी और मैतेई समुदायों के बीच लंबे समय से चल रहे जातीय संघर्ष का केंद्र है.