खुद का पैसा लगाओ… एकता कपूर ने अनुराग कश्यप और हंसल मेहता पर कसा तंज! दर्शकों को भी लगाई फटकार

इस वक्त ब्रिटिश वेब सीरीज Adolescence की चर्चा हो रही है, जो हाल ही ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई। हंसल मेहता और अनुराग कश्यप ने इस सीरीज की तारीफ की। जहां हंसल मेहता ने बॉलीवुड के रीसेट की बात की, तो वहीं अनुराग कश्यप ने ‘एडोलसेंस’ के बहाने नेटफ्लिक्स पर गुस्सा निकाला। उन्होंने नेटफ्लिक्स द्वारा कंटेंट को मंजूरी देने के तरीके की आलोचना की। साथ ही कहा था कि अगर ‘एडोलसेंस’ को भारत में प्रेजेंट किया जाता, तो वो या तो इसे रिजेक्ट कर देते या फिर 90 मिनट की फिल्म में बदल देते। अब इसी बीच एकता कपूर ने एक क्रिप्टिक पोस्ट शेयर किया है, जिसे अनुराग कश्यप और हंसल मेहता पर तंज माना जा रहा है।

एकता कपूर ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने दोनों फिल्मेमकर्स पर तंज कसने के साथ ही दर्शकों को भी फटकार लगाई। उन्होंने पैसों से ज्यादा आर्ट को भी तवज्जो देने पर बात की। एकता ने बताया कि भारत में क्वालिटी कंटेंट क्यों स्ट्रगल करता है। उन्होंने लिखा कि ‘सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव’ और ‘द बकिंघम मर्डर्स’ जैसी फिल्मों को क्रिटिक्स की तारीफें मिलीं, पर बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं। उन्होंने सवाल किया कि समस्या फिल्ममेकर्स के साथ है या दर्शकों के साथ? एकता ने क्रिएटर्स से अपना पैसा खुद लगाने का आग्रह किया।

‘जब इंडियन क्रिएटर्स रोते हैं कि हमारे इंडियन कंटेंट में दम नहीं तो…’
एकता कपूर ने लिखा, ‘जब इंडियन क्रिएटर्स इस बात पर रोते हैं कि हमारे इंडियन कंटेंट में दम नहीं और वो इंटनरनेशनल टीवी सीरीज और फिल्मों की टक्कर का नहीं है, तो मुझे खराब लगता है। मैं सोचती हूं कि क्या ये उनका ईगो है, गुस्सा है या फिर वो हमारे सिनेमा को लेकर अपने दिमाग में गलत धारणा बना रहे हैं?’

‘ऑडियंस की वजह से नहीं चलीं ‘सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव’ और ‘द बकिंघम पैलेस’
एकता ने अगली इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा, ‘जब ‘सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव’ और मेरे दोस्त हंसल मेहता की फिल्म ‘द बकिंघम पैलेस’ थिएटर्स में नहीं चल पाईं, तो क्या हम असली दोषियों को ब्लेम कर सकते हैं? ऑडियंस की वजह से ये फिल्में नहीं चल पाईं। लेकिन हम ऐसे सीधे तौर पर ऑडियंस को दोष नहीं दे सकते क्योंकि इसमें वो असली लोग भी आते हैं जो कंटेंट पसंद करते हैं। तो मान लेते हैं कि इसमें देश का आधे से ज्यादा हिस्सा आता है।’

‘अपना पैसा लगाओ, कंटेंट बिजनेस नहीं आर्ट है’
एकता ने फिर लिखा है, ‘जहां तक कंटेंट की बात है, तो देश का एक बड़ा हिस्सा अभी इवॉल्व ही हो रहा है। कह सकते हैं कि लोग अभी किशोरावस्था और बचपन में ही जी रहे हैं। क्रिएटर्स मैं आपसे आग्रह करती हूं कि सिस्टम से लड़ो। पैसा, भूख, कॉर्पोरेट स्टूडियो और ऐप्स… हर कोई सिर्फ पैसे बनाने पर ध्यान देता है। मैं भी इसमें शामिल हूं। स्टूडियोज और एप्स, एंटरटेनमेंट को इंडस्ट्री के रूप में देखते हैं। फिल्म बनाना और कंटेंट क्रिएट करना बिजनेस नहीं होता। यह एक आर्ट होती है, और मैं इस आर्ट को सपोर्ट करना चाहती हूं। मैं सभी क्रिएटर्स से गुजारिश करती हूं कि वो खुद का पैसा लगाएं। प्रॉब्लम सॉल्व।’

 

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