100 फुट धड़ाम से गिरा मंदिर का रथ, खींचते समय हुई श्रद्धालुओं की भी मौत, 500 साल से चल रहा है मद्दुराम्मा मेला

कर्नाटक के अनेकल में वार्षिक ‘हुस्कुर मद्दुरम्मा देवी जात्रा महोत्सव’ यानी मद्दुरम्मा मंदिर मेले के दौरान दो रथ गिरने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह दुर्घटना उस समय हुई जब भक्तगण पारंपरिक अनुष्ठान के तहत मंदिर की ओर विशाल रथ को खींच रहे थे, तभी तेज हवाओं और भारी बारिश के कारण रथ का संतुलन बिगड़ गया और वह जमीन पर गिर गए। रस्सियों को संभाल रहे सैकड़ों भक्तों के बीच अफरा-तफरी मच गई और वे सुरक्षित बचने के लिए इधर-उधर भागने लगे।

पिछले साल भी इसी तरह की घटना हुई थी, जब इसी उत्सव में एक रथ पलट गया था, जिससे कई पार्क किए गए वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे। बता दें, जो रथ गिरे, उनकी ऊंचाई 150 फीट से भी ज्यादा थी। रथ को बड़ी- बड़ी लकड़ी के खंभों से बनाए गए थे। आईए ऐसे में आईए जानते हैं मेले के बारे में, आखिर ये कब से लग रहा है?

कब से लग रहा है मद्दुरम्मा मंदिर मेला
​मद्दुरम्मा मंदिर मेले का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। पहले बैलों से रथ खींचे जाते थे, लेकिन अब ट्रैक्टर और बैलों से रथ खींचे जाते हैं। इस साल गांव के गौरव को दर्शाने के लिए सबसे ऊंचा रथ बनाया गया था। लेकिन तेज हवा और बारिश के कारण रथ जमीन पर गिर गया। ‘

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जान लें मेले का इतिहास
​हुस्कुर में मद्दुरम्मा देवी मंदिर मेला देशभर में ‘हुस्कुर मद्दुरम्मा देवी जात्रा महोत्सव’ के नाम से प्रसिद्ध है और यह विशाल शिवालय जैसे रथों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें आसपास के क्षेत्रों से मंदिर तक खींचा जाता है। वहीं स्थानीय रूप से इस महोत्सव को ‘कुर्जू’ के नाम से जाना जाता है।

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