TMC बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं को देती है आधार कार्ड… लोकसभा में गरजे अमित शाह

नई दिल्ली

लोकसभा में आप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 पर जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा बांग्लादेशी घुसपैठी अब पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत में घुसते हैं। टीएमसी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं का आधार कार्ड जारी करती है। उन्होंने कहा कि जब पश्चिम बंगाल में हमारी सरकार बनेगी तो हम इस पर लगाम लगाएंगे।

‘बांग्लादेशी घुसपैठियों को आधार कार्ड देती है टीएमसी’
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “बांग्लादेशी घुसपैठिए हों या रोहिंग्या, पहले वे असम के रास्ते भारत में घुसते थे, जब कांग्रेस सत्ता में थी। अब वे पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत में घुसते हैं, जहां टीएमसी सत्ता में है। उन्हें आधार कार्ड, नागरिकता कौन देता है? पकड़े गए सभी बांग्लादेशियों के पास 24 परगना जिले के आधार कार्ड हैं। आप (टीएमसी) आधार कार्ड जारी करते हैं और वे वोटर कार्ड लेकर दिल्ली आते हैं। 2026 में पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी और हम इस पर लगाम लगाएंगे।”

‘बॉर्डर पर बाड़ के लिए जगह नहीं देती टीएमसी सरकार’
अमित शाह ने कहा, “हमारी बांग्लादेश से सटी हुई सीमा 2216 किलोमीटर है और उसमें से 1653 किलोमीटर का बाड़ बन चुका है। 450 किलोमीटर की बाड़बंदी का काम इसलिए लंबित है क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार इसके लिए भूमि नहीं देती है। जब भी बाड़बंदी का काम होता है तो सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता गुंडागर्दी करते हैं और धार्मिक नारे लगाते हैं।”

‘सीएए के जरिए उत्पीड़ित लोगों को शरण दे रही सरकार’
उन्होंने कहा, “भारत एक भू-सांस्कृतिक राष्ट्र है, भू-राजनीतिक राष्ट्र नहीं… भारत का शरणार्थियों के प्रति एक इतिहास रहा है। पर्शिया से आक्रांताओं ने पारसियों को भगा दिया और पारसी दुनिया में कहीं नहीं गए भारत आए और आज देश में वे सुरक्षित हैं। जब इजराइल से यहूदी भागे तो भारत में आकर रहे। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में पड़ोसी देशों के 6 उत्पीड़ित समुदायों के लोगों को भी सीएए के माध्यम से देश में शरण देने का काम भाजपा कर रही है।”

राहुल गांधी पर भी साधा निशाना
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “जब से राहुल गांधी इंडी गठबंधन के नेता बने हैं, वे सरकार के अधिकृत डेटा के बजाए एनजीओ द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर भी नजर रखते हैं। कभी-कभी वे एनजीओ द्वारा लिखे गए भाषण भी पढ़ते हैं।”

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