लखीमपुर खीरी
आपने जहरीले और कई खतरनाक सांपों के बारे में सुना होगा, लेकिन ये सांप उन सबसे अलग है। यह जमीन रेंगता नहीं बल्कि उड़ता है। हरे पत्तों में तो मानों जैसा गायब ही हो जाता है। दरअसल, यह अपनी शारीरिक बनावट के कारण तेजी से चलता है और छलांग लगाता है। साथ ही इसका गहरा हरा रंग हरे पत्तों की तरह है, जिसके कारण यह छिपा हुआ मालूम होता है। अब यह दुर्लभ सांप अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस लखीमपुर खीरी के दुधवा टाइगर रिजर्व में देखा गया है।
लखीमपुर खीरी के दुधवा टाइगर रिजर्व में एक अनोखा और दुर्लभ सांप मिलने से वन्यजीव विशेषज्ञों में उत्साह का माहौल है। यह घटना ककरहा ताल इलाके में उस समय हुई, जब राइनो पुनर्वास प्रोजेक्ट फेज 2 के तहत दो गैंडों को जंगल में छोड़ा जा रहा था। इस दौरान दुधवा टाइगर रिजर्व की विशेषज्ञ टीम को एक पेड़ पर लंबी नथनी वाला बेल सांप अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस दिखाई दिया। यह सांप अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए जाना जाता है, जो इसे प्रकृति का एक अद्भुत नमूना बनाती हैं।
सबसे पहले भारत के बिहार में देखा गया था
दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक टी रंगा राजू ने बताया कि यह लंबी नथनी वाला बेल सांप बेहद दुर्लभ प्रजाति का है। भारत में इसे पहली बार बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में देखा गया था और अब दूसरी बार उत्तर प्रदेश के दुधवा के जंगलों में इसका दीदार हुआ। उन्होंने कहा कि यह सांप जमीन पर रेंगने के बजाए पेड़ों पर रहता है और अपनी हल्की हरी रंगत के कारण पत्तियों में आसानी से छिप जाता है। यह हवा में उड़ता हुआ प्रतीत होता है, जो इसकी फुर्ती और हल्के शरीर का कमाल है।
दुर्लभ प्रजाति के सांप का संरक्षण
यह खोज न केवल दुधवा की जैव-विविधता को उजागर करती है, बल्कि संरक्षण के लिए नई चुनौतियां भी पेश करती है। रंगा राजू ने बताया कि इस सांप के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि इस दुर्लभ प्रजाति को बचाया जा सके। वन विभाग की टीम ने इसे रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया है और इसके व्यवहार का अध्ययन शुरू कर दिया है। यह सांप न सिर्फ दुर्लभ है, बल्कि प्रकृति के संतुलन में भी अहम भूमिका निभाता है। इस खोज से दुधवा की ख्याति एक बार फिर बढ़ी है।