इस मुस्लिम देश में 2300 मंदिरों के अस्तित्व पर खतरा, हिंदुओं ने बुलाई बड़ी बैठक, जानें पूरा मामला

कुआलालंपुर:

मलेशिया में 2000 से अधिक हिंदू मंदिरों ने इस हफ्ते के अंत में कुआलालंपुर में एक बड़ी बैठक बुलाई है। इस बैठक में छोटे-बड़े सभी मंदिर अपने प्रतिनिधियों को भेजेंगे। बैठक का एजेंडा मंदिरों की भूमि पर अवैध कब्जे को हटाने पर रणनीति को बनाना है। यह बैठक तब हो रही है, जब हाल में ही राजधानी कुआलालंपुर में 130 साल पुराने देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर को सरकारी दबाव में उसके मूल स्थान से हटा दिया गया। उस जगह पर मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने एक मस्जिद की नींव रखी है। मलेशिया में 20 लाख हिंदू आबादी है, लेकिन बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम है।

मलेशिया में मंदिर को लेकर विवाद क्यों
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर कुआलालंपुर के एक बेहद घनी आबादी वाले इलाके में स्थित है। जब यह मंदिर बना तो मलेशिया नाम के देश का अस्तित्व भी नहीं था। 31 अगस्त 1957 को ब्रिटिश दासता से अलग होने के बाद मंदिर की जमीन को सरकारी घोषित कर दिया गया। 2014 में मलेशियाई सरकार ने इस जमीन को देश की एक बड़ी कपड़ा कंपनी को बेच दिया था। बाद में कपड़ा कंपनी ने इस जगह पर एक मस्जिद के निर्माण का ऐलान किया, लेकिन इसके लिए मंदिर को हटाना जरूरी था। ऐसे में अनवर इब्राहिम की सरकार ने मंदिर पर दबाव बनाकर उसे अपनी मूल जगह से हटने के लिए मजबूर कर दिया।

मलेशिया के कट्टरपंथी क्यों मचा रहे बवाल
अब इस हिंदू मंदिर के अपने मूल जगह से हटने को लेकर विवाद हो रहा है। मलेशियाई सरकार का दावा है कि उसने इस मंदिर को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के लिए एक नई जमीन दी है, जो पास में ही स्थित है। इस पर मलेशिया के कट्टरपंथी अपनी ही सरकार की आलोचना कर रहे हैं। कट्टरपंथियों का कहना है कि सरकार ने मंदिर को जमीन क्यों दी, जबकि वह पहले सरकारी जमीन पर स्थित थी। इतना ही नहीं, कट्टरपंथी सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाकर जहर उगल रहे हैं।

मलेशिया में हजारों मंदिरों पर खतरा
मंदिर विवाद ने मलेशिया के हजारों मंदिरों के भूमि अधिकारों के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं – इनमें से कई औपनिवेशिक काल के दौरान स्थापित किए गए थे, जब ब्रिटिश प्रशासकों द्वारा भारतीय मजदूरों को लाया गया था। मलेशिया में हिंदुओं के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले मलेशिया हिंदू संगम (एमएचएस) ने कहा कि सार्वजनिक चर्चा पर सोशल मीडिया के हानिकारक प्रभाव के कारण सरकारी नेताओं द्वारा दशकों से किए जा रहे समाधान अब मान्य नहीं रह गए हैं।

मलेशिया हिंदू संगम ने क्या कहा
एमएचएस के अध्यक्ष जेनेसन थंगावेलु ने पिछले भूमि विवादों का जिक्र करते हुए दिस वीक इन एशिया से कहा, “उन दिनों भी यही भूमि मुद्दे सामने आए थे, लेकिन उस समय हमारे पास ऐसे मंत्री थे, जिन्होंने समाधान खोजने के लिए एमएचएस के साथ मिलकर काम किया था।” उन्होंने कहा, “लेकिन यह 40 साल पहले की बात है। अब चीजें बदल गई हैं, और हमें एक ठोस और अधिक दीर्घकालिक समाधान विकसित करने की आवश्यकता है।”

2300 मंदिरों ने बुलाई बड़ी बैठक
एमएचएस ने सोमवार को अपने फेसबुक पेज पर मंदिर समितियों के लिए एक खुला निमंत्रण पोस्ट किया, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए रविवार को कुआलालंपुर में होने वाली टाउन हॉल मीटिंग में अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए कहा गया। एमएचएस का अनुमान है कि लगभग 2,300 मंदिरों को भूमि विवाद का सामना करना पड़ सकता है, जहां ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा दिए गए व्यावसायिक अधिकारों को मलेशिया द्वारा 1957 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद औपचारिक रूप नहीं दिया गया था।

मलेशिया में कैसे पहुंचे हिंदू
अंग्रेजों ने तत्कालीन मलाया की रेलवे, बिजली ग्रिड और दूरसंचार लाइनों को बिछाने और बागानों में काम करने के लिए मजदूरों के रूप में ज्यादातर दक्षिण भारतीय प्रवासियों को लाया, जहाँ उन्होंने रबर जैसी नकदी फसलें उगाईं। एमएचएस ने कहा कि शुरुआती भारतीय प्रवासियों की धार्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाए गए अधिकांश मंदिर अब राज्य से जुड़ी बुनियादी ढांचा फर्मों और पूर्व बागानों के स्वामित्व वाली भूमि पर हैं, जिन्हें बाद में बड़े शहरों में पुनर्विकसित किया गया है।

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