नई दिल्ली
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत जल्द ही अपनी टैरिफ दरों में बड़ी कटौती करेगा। यह बात उन्होंने 2 अप्रैल से कुछ देशों पर जवाबी शुल्क (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने से पहले कही। ट्रंप का कहना है कि कई देश सालों से अमेरिका पर अनुचित शुल्क लगा रहे हैं। इसलिए अब वे अपने शुल्क कम करेंगे। उनकी यह नीति ‘जैसे को तैसा’ के सिद्धांत पर आधारित है। इसका असर भारत, चीन, यूरोपीय संघ, कनाडा और मेक्सिको जैसे देशों पर पड़ने की आशंका है। व्हाइट हाउस का कहना है कि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100% तक शुल्क लगाता है। इससे अमेरिकी उत्पादों का इन देशों में आयात मुश्किल हो गया है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यह अमेरिकी श्रमिकों के साथ अन्याय है। वह इस स्थिति को बदलने के लिए तैयार हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बात करते हुए भारत के बारे में यह टिप्पणी की। ट्रंप पहले भी कई बार भारत को ऊंचे शुल्क वाला देश बता चुके हैं। अब उन्होंने कुछ और देशों से आने वाले उत्पादों पर भी जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है।
इस बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने कहा, ‘मुझे लगता है कि बहुत से (देश) अपने शुल्क में कटौती करेंगे क्योंकि वे वर्षों से अमेरिका पर अनुचित तरीके से शुल्क लगाते आ रहे हैं। यदि आप यूरोपीय संघ को देखें तो उसने कारों पर पहले ही अपने शुल्क को 2.5 फीसदी तक घटा दिया है।’ इसका मतलब है कि ट्रंप को उम्मीद है कि कई देश अब अपने शुल्क कम करेंगे क्योंकि वे पहले से ही अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा शुल्क लगा रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘अभी कुछ समय पहले ही मैंने सुना कि भारत अपने शुल्क में बहुत बड़ी कटौती करने जा रहा है। मैंने कहा, किसी ने ऐसा बहुत पहले क्यों नहीं किया। बहुत से देश अपने शुल्क में कटौती करने जा रहे हैं।’ ट्रंप यह देखकर हैरान हैं कि भारत अब शुल्क कम करने जा रहा है और उन्हें लगता है कि यह काम पहले ही हो जाना चाहिए था।
क्या है जवाबी टैरिफ का मतलब?
ट्रंप की जवाबी शुल्क नीति का मतलब है कि अमेरिका उन देशों से आने वाले सामान पर उतना ही शुल्क लगाएगा, जितना वे देश अमेरिकी सामान पर लगाते हैं। इससे भारत के अलावा चीन, यूरोपीय संघ, कनाडा और मेक्सिको पर भी असर पड़ेगा।
ट्रंप की इस घोषणा से कुछ घंटे पहले ही व्हाइट हाउस ने कहा था कि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100% शुल्क लगाता है। व्हाइट हाउस का कहना है कि दूसरे देशों के ऊंचे शुल्क की वजह से अमेरिकी उत्पादों का उन देशों में निर्यात लगभग नामुमकिन हो गया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सोमवार को कहा, ‘दुर्भाग्य से, ये देश बहुत लंबे समय से हमारे देश को लूट रहे हैं। मुझे लगता है कि अमेरिकी श्रमिकों को लेकर अपनी उपेक्षा को उन्होंने बिल्कुल साफ कर दिया है।’ लेविट का मानना है कि ये देश लंबे समय से अमेरिका का फायदा उठा रहे हैं और अमेरिकी कर्मचारियों के साथ ठीक व्यवहार नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘इन देशों की अनुचित व्यापार प्रथाओं से अमेरिकी उत्पादों का इन बाजारों में आयात लगभग असंभव हो जाता है। इसने पिछले कई दशकों में बहुत से अमेरिकियों को व्यवसाय और काम से बाहर कर दिया है।’ लेविट का कहना है कि इन देशों की गलत व्यापार नीतियों के कारण अमेरिकी उत्पादों को उनके बाजारों में बेचना मुश्किल हो गया है, जिससे कई अमेरिकियों को नुकसान हुआ है। लेविट ने एक चार्ट भी दिखाया जिसमें भारत, जापान और अन्य देशों द्वारा लगाए गए शुल्क की जानकारी दी गई थी।
किन देशों पर होगा असर, अब तक साफ नहीं
प्रेस सचिव ने कहा, ‘यह एक राष्ट्रपति के लिए अमेरिकी लोगों के लिए सही कदम उठाने, ऐतिहासिक परिवर्तन करने का समय है। और यह बुधवार को होने जा रहा है।’ लेविट का मानना है कि अब राष्ट्रपति के लिए यह जरूरी है कि वह अमेरिकी लोगों के लिए सही कदम उठाएं और व्यापार के क्षेत्र में बदलाव लाएं।हालांकि, लेविट ने यह नहीं बताया कि शुल्क किस तरह के होंगे और किन देशों पर इसका असर होगा।
उन्होंने सिर्फ इतना कहा, ‘बुधवार को राष्ट्रपति ही इसकी घोषणा करेंगे। लेकिन, यह निश्चित रूप से सुनिश्चित करेगा कि उनके शुल्क का जवाब दिया जाए और अमेरिकी लोगों के साथ उचित व्यवहार हो।’ लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति ही इस बारे में पूरी जानकारी देंगे, लेकिन यह जरूर सुनिश्चित किया जाएगा कि अमेरिकी लोगों के साथ सही व्यवहार हो।
उन्होंने यह भी बताया कि ट्रंप के पास व्यापार सलाहकारों की एक अच्छी टीम है, जिसमें वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर शामिल हैं। इसके अलावा उपराष्ट्रपति जे डी वेंस भी बातचीत में शामिल थे। इसका मतलब है कि ट्रंप को व्यापार से जुड़े मामलों में सलाह देने के लिए कई विशेषज्ञ मौजूद हैं।