नई दिल्ली,
लोकसभा में बुधवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया गया, जिसमें 1995 के वक्फ अधिनियम में व्यापक बदलाव करने का प्रस्ताव है. सरकार इस विधेयक को लोकसभा में पारित कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध दिख रही है, वहीं विपक्ष ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया है. लोकसभा में चर्चा के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने इस विधेयक को मुस्लिमों के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों पर सीधा हमला करार दिया और इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन बताया और कहा कि इसका मकसद मुसलमानों को जलील करना है.
ओवैसी ने कहा कि वह महात्मा गांधी की तरह संशोधन पत्रों को फाड़ देंगे और वक्फ संशोधन विधेयक को “असंवैधानिक” बताया। उन्होंने कहा, “इस देश में, बीजेपी मंदिरों और मस्जिदों के नाम पर संघर्ष पैदा करना चाहती है।”
ओवैसी ने अपने संबोधन में कहा कि यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को खत्म करने की साजिश है. उन्होंने कहा कि हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदायों की धार्मिक संपत्तियों को संरक्षण प्राप्त है, लेकिन मुस्लिम वक्फ की संपत्तियों को इस विधेयक के माध्यम से सरकार जब्त करना चाहती है. इस विधेयक के प्रावधान मुस्लिम वक्फ बोर्ड से प्रशासनिक नियंत्रण छीनकर सरकार को सौंप देते हैं, जिससे यह बोर्ड मुस्लिम समाज के हितों की रक्षा नहीं कर पाएंगे. उन्होंने तर्क दिया कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है क्योंकि अन्य धार्मिक समुदायों की संपत्तियों को विशेष संरक्षण प्राप्त है, लेकिन मुस्लिमों की संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की योजना बनाई जा रही है.
‘वक्फ संपत्तियों पर कब्जे की साजिश’
ओवैसी ने संसद में कहा कि इस विधेयक के लागू होने से वक्फ संपत्तियों पर कब्जे को कानूनी मान्यता मिल जाएगी. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति ने वक्फ संपत्ति पर कब्जा कर लिया, तो सरकार इस पर लिमिटेशन एक्ट लागू करेगी, जिससे रातों-रात अतिक्रमणकर्ता उस संपत्ति का कानूनी मालिक बन जाएगा. उन्होंने इसे न्याय की भावना के खिलाफ बताया और कहा कि यह विधेयक अतिक्रमण करने वालों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर मुस्लिम वक्फ संपत्तियों को कमजोर कर रही है ताकि मुसलमानों की आर्थिक और शैक्षणिक प्रगति को रोका जा सके. उन्होंने बताया कि 2007 की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि सिर्फ दिल्ली में 123 वक्फ संपत्तियों की बाजार कीमत 6000 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब सरकार इन संपत्तियों को हड़पने के लिए नए कानून बना रही है.
‘अल्पसंख्यक अधिकारों का हनन’
ओवैसी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मुस्लिमों को उनके धार्मिक अधिकारों से वंचित करना चाहती है. उन्होंने अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थानों के संचालन का अधिकार) का हवाला देते हुए कहा कि इस विधेयक के माध्यम से मुस्लिमों को उनके धार्मिक संस्थानों पर प्रशासनिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है.
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के धार्मिक संस्थानों को अपने मामलों को खुद संचालित करने का अधिकार है, तो फिर मुस्लिम वक्फ बोर्ड के अधिकारों को क्यों छीना जा रहा है? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार मुस्लिम धार्मिक स्थलों – मस्जिदों, मदरसों, खानकाहों और दरगाहों को निशाना बना रही है.
सरकार पर तीखा हमला
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण से जुड़े आंकड़े पेश करने पर ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि 2014 में सरकार ने अवैध कब्जे हटाने के लिए एक बिल लाया था, तो उसे 2024 में वापस क्यों लिया गया? उन्होंने कहा कि “सरकार खुद ही अपने फैसलों से मुकर रही है और झूठा प्रचार कर रही है.”ओवैसी ने भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि 2013 में जब वक्फ अधिनियम पारित हुआ था, तब भाजपा नेताओं ने इसका समर्थन किया था. उन्होंने पूछा कि क्या अब भाजपा अपने ही पुराने नेताओं – अडवाणी, सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह – के फैसलों को गलत मान रही है?
अल्पसंख्यक समुदाय की अनदेखी
ओवैसी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मुस्लिम सदस्यों के साथ भेदभाव कर रही है. उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जनजाति से है और वह मुस्लिम है, तो क्या उसे उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जाएगा? उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 29 का उल्लंघन करार दिया.
ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों से संबंधित मामलों में न्यायिक अपील के अधिकार को समाप्त कर देगा. उन्होंने बताया कि आमतौर पर विभिन्न ट्रिब्यूनलों (जैसे रेलवे ट्रिब्यूनल, इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल) में अपील करने का अधिकार होता है, लेकिन इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों में अपील के अधिकार को खत्म किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में अब गैर-मुस्लिमों को भी शामिल किया जा सकता है, जिससे वक्फ बोर्ड मुसलमानों के हितों की रक्षा नहीं कर सकेगा.
ओवैसी का विधेयक को फाड़ने का ऐलान
अपने भाषण के अंत में ओवैसी ने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में नस्लवादी कानूनों के खिलाफ खड़े होकर अन्यायपूर्ण कानून को अस्वीकार किया था, उसी तरह वह भी इस विधेयक को खारिज करते हैं. उन्होंने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक है और वह इसे संसद में ही फाड़कर विरोध दर्ज कर रहे हैं. उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह धार्मिक ध्रुवीकरण करके देश में मंदिर-मस्जिद के नाम पर संघर्ष भड़काना चाहती है. उन्होंने अपने 10 संशोधन प्रस्ताव संसद में प्रस्तुत किए और मांग की कि सरकार इनपर विचार करे.
आप ही जज होंगे और आप ही फैसला करेंगे- ओवैसी
ओवैसी ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा, वक्फ बिल मुसलमानों पर हमला है… यह हमला मोदी सरकार की ओर से है… मेरी मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है. ओवैसी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा, मुस्लिम वक्फ कानून गैर-मुस्लिमों को ला रहा है… अन्य धार्मिक बोर्डों के काम करने के तरीके से बिल्कुल अलग. यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है, अनुच्छेद 25 और अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है. कोई भी नामित अधिकारी यह फैसला सुना सकता है कि मस्जिद सरकारी संपत्ति है और इसे छीना जा सकता है. यानी आप ही जज होंगे और आप ही फैसला करेंगे.
इससे पहले विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, वक्फ (संशोधन) विधेयक मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने और उनके निजी कानूनों और संपत्ति के अधिकारों को हड़पने का हथियार है. आरएसएस, भाजपा और उनके सहयोगियों द्वारा संविधान पर यह हमला आज मुसलमानों को निशाना बनाकर किया जा रहा है, लेकिन भविष्य में अन्य समुदायों को निशाना बनाने के लिए यह एक मिसाल कायम करता है. कांग्रेस पार्टी इस कानून का कड़ा विरोध करती है क्योंकि यह भारत के मूल विचार पर हमला करता है और अनुच्छेद 25, धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है.
चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष को ललकारा. वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान जब तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने कहा बंगाल में आकर यही बात कहिएगा. तब शाह ने ललकाते हुए कहा, बंगाल में आकर कहूंगा कि यह राजनीतिक हिसाब किताब का अखाड़ा नहीं है. छाती ठोक कर कहूंगा ज्यादा सीटें आएंगी. शाह के बयान के बाद चर्चा चल ही रही थी कि इसी बीच संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू खड़े हुए उन्होंने कहा कि संसद देर रात तक चलेगी. इसलिए सभी सांसदों के लिए डिनर का इंतजाम किया गया है. हम सबने मिलकर तय किया है कि रात तक इस पर चर्चा करेंगे. बीजेेपी का इरादा देर रात इस बिल को पास कराने हैं.
इसी बीच गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कहा कि वक्फ बोर्ड में सबसे पहला योगदान किसी मुस्लिम ने नहीं दिया, फिर वक्फ बोर्ड में हिंदुओं की मौजूदगी पर लोगों को आपत्ति क्यों होनी चाहिए. दुबे का दावा है कि भारत में वक्फ की शुरुआत मुहम्मद गौरी ने की थी. 1911 में जिन्ना ने मुस्लिम वक्फ बोर्ड की शुरुआत की थी. जिन्ना ने पाकिस्तान बनाया और आज एक बार फिर वक्फ के नाम पर वे समाज को बांटना चाहते हैं. 1954 में सांसदों द्वारा बिल का विरोध करने के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों को खुश करने के लिए वक्फ अधिनियम पारित किया…ऐसा कोई अन्य देश नहीं है जिसने वक्फ को इतनी शक्तियां दी हों, क्या आप भारत को मुस्लिम देश बनाना चाहते हैं?
चर्चा के दौरान सपा सांसद मोहिबुल्लाह ने सरकार से तीखे सवाल पूछे. उन्होंने कहा, हमें अपने संविधान के अनुसार किसी भी धर्म का पालन करने की अनुमति दी गई है. वक्फ संशोधन बिल समानता और धर्म के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसे देश का दूसरा सबसे बड़ा बहुमत कभी स्वीकार नहीं करेगा. हमारे देश में सूफी संतों की समृद्ध परंपरा है और आप हमारे प्रार्थना करने के अधिकार को खतरे में डाल रहे हैं. क्या आप हमसे प्रार्थना करने का अधिकार भी छीन लेंगे. इसके बाद बीजेपी नेताओं ने उन्हें जवाब दिया.
इससे पहले नीतीश कुमार के सांसद ललन सिंह ने कहा, वक्फ बिल पर भ्रम फैलाया. बिल में सभी के साथ न्याय होगा. बिल में ऐसा कुछ भी नहीं है जो मुस्लिम विरोध दिखाता हो. उन्होंने ये भी कहा कि अगर आपको मोदीजी का चेहरा देखना पसंद नहीं तो मत देखिए मोदी की ओर. कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, वक्फ बिल मुसलमानों से बहुत कुछ छीन लेगा. आप सौगात-ए-मोदी मत दीजिए, मुसलमानों को रोजगार दे दीजिए, उनकी छाती पर गोली मारना बंद कीजिए.