मॉस्को:
रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने दुनिया में परमाणु हथियार हासिल करने की होड़ बढ़ने की चेतावनी दी है। मेदवेदेव ने मंगलवार को कहा कि जिस तरह से वैश्विक स्तर पर नए तनाव पैदा हो रहे हैं, उससे आने वाले सालों में और भी देश परमाणु हथियार हासिल कर लेंगे। इससे एक नई तरह की चुनौती विश्व के सामने आएगी। मेदवेदेव ने परमाणु हथियारों की बढ़ती होड़ के लिए पश्चिमी देशों को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम के देश यूक्रेन में रूस के खिलाफ छद्म युद्ध (प्रॉक्सी वॉर) कर रहे हैं। इससे दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर पहुंच गई है।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, मेदवेदेव ने कहा कि दुनिया में परमाणु हथियारों का खतरा बढ़ रहा है और स्थिति विश्व युद्ध जैसी हो गई है। उन्होंने न्यू स्टार्ट संधि के बारे में भी बात की। यह संधि उन्होंने 2010 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ प्राग में की थी। इस संधि का मकसद परमाणु हथियारों की संख्या को कम करना था। यह संधि फरवरी 2026 में खत्म होने वाली है।
मेदवेदेव ने ब्रिटेन-फ्रांस को घेरा
मेदवेदेव ने फ्रांस और ब्रिटेन के नेताओं के हालिया बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि ये देश अपने परमाणु हथियारों को लेकर आक्रामक बातें कर रहे हैं। यह दुनिया में शांति के लिए खतरनाक है। उन्होंने यूरोपीय देशों की रणनीतिक क्षमताओं को मामू बताते हुए कहा कि स्थिति बहुत नाजुक है। मेदवेदेव ने अपने टेलीग्राम चैनल पर लिखा, ‘दुनिया नए खतरनाक हथियार बनाएगी और कई देश परमाणु हथियार हासिल करेंगे। हालात ऐसे हैं कि यूक्रेन संघर्ष खत्म होने के बाद भी दशकों तक परमाणु निरस्त्रीकरण मुमकिन नहीं है।
मेदवेदेव ने संकेत दिया है कि रूस पश्चिमी देशों के रवैये से चिंतित है। उनका मानना है कि पश्चिमी देश यूक्रेन का इस्तेमाल रूस को कमजोर करने के लिए कर रहे हैं। वहीं रूस को लगता है कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों को बनाए रखना जरूरी है। दूसरी ओर कई देश परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश में लगे हैं, जो खतरनाक है।
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के अनुसार, रूस और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े परमाणु शक्ति वाले देश हैं। दोनों देशों के पास दुनिया के तकरीबन 88 फीसदी परमाणु हथियार हैं। इसके बाद चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया का नंबर आता है।