जिस नए पंबन ब्रिज का दो दिन पहले पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन, उसके पिलरों पर लगने लगी जंग

नई दिल्ली

तमिलनाडु में समुद्र के उपर बनाए गए जिस नए पंबन रेलवे ब्रिज का 6 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। उस पुल के खंभों पर अभी से जंग लगना शुरू हो गई है। यह जंग पुल को खड़ा करने के लिए बनाए गए तमाम पिलर पर नजर आ रही है। खंभों पर लगी इस जंग को देखकर लोगों का कहना है कि रेलवे जिसे इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण बता रहा है। उस पुल के खंभों की हालत देखिए।

इस मामले में एनबीटी ने इस ब्रिज को बनाने वाली रेलवे की पीएसयू रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) कंपनी से बात की। कंपनी की तरफ से यह दावा करते हुए सुनिश्चित किया गया कि पंबन रेलवे ब्रिज के पिलरों पर जो जंग दिखाई दे रही है, असल में वह मेटल के कवर हैं। जिन्हें कंक्रीट का पिलर बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया। हालांकि, पिलर खड़े किए जाने के बाद इन्हें हटा देना चाहिए था। लेकिन किन्हीं कारणवश यह नहीं भी हटाए गए हैं तो इससे पुल को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। आरवीएनएल प्रवक्ता का कहना है कि जब एनबीटी इस मामले को हमारे संज्ञान में लाया है तो इस बारे में और विचार किया जाएगा कि इसका क्या किया जा सकता है।

खंभों पर दिखाई दे रही जंग
मामले में लोगों का कहना है की खंभों पर दिखाई दे रही जंग के बारे में रेलवे को जरूर कुछ विचार करना चाहिए। वरना इन्हें देखने से तो ऐसा ही लगता है की इनमें जंग लगना शुरू हो गया। अधिकारियों ने बताया कि समुद्र के उपर 2.08 किलोमीटर लंबाई में बना यह नया पंबन रेलवे ब्रिज एशिया की पहला हाइड्रोलिक लिफ्ट रेलवे ब्रिज है। पुल के नीचे से समुद्र के रास्ते जहाजों को निकालने के लिए इस रेलवे ब्रिज के बीच रेल की पटरियों का 72.5 मीटर का हिस्सा 17 मीटर तक उपर उठ जाता है। जिसके नीचे से फिर समुद्र के रास्ते शिप निकल सकते हैं।

पुल की उम्र 100 साल से अधिक बताई गई
पुल के बारे में एक और खासियत यह भी है कि इसे 80 नहीं बल्कि 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों के दौड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। बस, पुल के एक तरफ घुमाव होने की वजह से कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ने इस पुल से ट्रेनों को 75 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से ट्रेनों को चलाने की मंजूरी नहीं दी है। यह ब्रिज जोन-5 स्तर का भूकंप आने पर भी सुरक्षित रहेगा। 58 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली तेज हवाओं के वक्त भी इस पुल से ट्रेन ऑपरेशन किए जा सकेंगे। लेकिन इससे अधिक हवा चलने पर ट्रेनों का मूवमेंट रोक दिया जाएगा।पुल में ऐसा पेंट इस्तेमाल किया गया है। जो पुल को 40 सालों तक सुरक्षित रखेगा। इस पुल की उम्र 100 साल से अधिक बताई गई है।

बंद पुराना पुल भी इंजीनियरिंग का नायाब नमूना
भले ही रेलवे नए पंबन रेलवे ब्रिज को इंजीनियरिंग का अदभूत नमूना बता रहा हो, लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि इसके पास में ही अंग्रेजों द्वारा 1914 में बनाया गया पुराना पंबन ब्रिज भी कुछ कम नहीं है। नए पुल को बनाने से संबंधित एक्सपर्ट ने बताया कि जब नए पंबन ब्रिज को बनाया जा रहा था। तब उन्हें बहुत सारी दिक्कतें सामने आई। वह यह सोचकर हैरान थे कि 111 साल पहले बनाया गया पंबन ब्रिज कैसे बनाया गया होगा। जब तो इतने आधुनिक साधन तक भी नहीं थे। पुराना पंबन ब्रिज भी जंग लगने से ही बेकार हुआ है, लेकिन उसका नीचे का स्ट्रक्चर अभी भी काफी मजबूत है। जिसमें लोहे जैसा कोई मेटल नहीं लगा है। नए पंबन ब्रिज की उम्र 100 साल से अधिक बताई गई है। जबकि पुराने पंबन ब्रिज ने 108 सालों तक सेवाएं दीं।

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