भारत दौरे पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति, निशाने पर पर्यटक… पहलगाम आतंकी हमले से क्या इशारा कर रहा पाकिस्तान?

नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में कायराना आतंकी हमले को अंजाम देकर आतंकियों ने 26 पर्यटकों को मार डाला है। इनमें 2 विदेशी टूरिस्ट भी शामिल हैं। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थक TRF ने ली है। हमले की भयावहता को देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह खुद श्रीनगर पहुंच गए हैं। दूसरी तरफ सेना ने पहलगाम में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। इन सारे घटनाक्रमों के बीच इस आतंकी हमले की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस समय अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपने परिवार सहित 4 दिनों के भारत दौरे पर आए हुए हैं। उनका परिवार जयपुर के आसपास अलग-अलग पर्यटन स्थलों की सैर कर रहा है।

दरअसल, पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से बौखलाया हुआ है। आतंकियों को भेजकर कई बार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता फैलाने की कोशिशें कर चुकी हैं, लेकिन हर बार उनका प्लान फेल साबित हो रहा था। अब तक आतंकी पर्यटकों को निशाना बनाने से बचते आए हैं। लेकिन इस बार पाक समर्थित आतंकियों ने अपना पैटर्न बदलते हुए सीधे पर्यटकों को ही निशाना बनाया है। आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में जिसके कारण पाकिस्तान बुरी तरह से बौखलाया हुआ है।

जम्मू-कश्मीर की तरक्की से तिलमिलाया PAK

मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था। पाकिस्तान ने भारत के इस कदम का काफी विरोध किया था। पाकिस्तान ने कई बार कोशिशें कीं कि स्थानीय लोगों को भड़काकर या आतंकवाद फैलाकर जम्मू-कश्मीर के हालात बिगाड़े जा सकें। लेकिन भारतीय सेना पाकिस्तान के इरादों को हम बार नाकाम कर रही थी। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर में लगातार पर्यटकों की संख्या भी बढ़ती जा रही थी। पिछले महीने ही जम्मू-कश्मीर सरकार ने विधानसभा में आंकड़े जारी किए थे। इसमें बताया गया था कि 2021 से लेकर 2024 तक केंद्र शासित प्रदेश में 7 करोड़, 49 लाख 70 हजार 943 पर्यटक आ चुके हैं। पिछले साल यानी 2024 में ही जम्मू-कश्मीर के अंदर 2 करोड़ 35 लाख 90 हजार 081 टूरिस्ट पहुंचे थे। घाटी के टूरिज्म में हो रही इस तरक्की को देखकर भी पाकिस्तान अंदर ही अंदर तिलमिला रहा था।

जम्मू-कश्मीर में पिछले साल (2024) में पूरे 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए थे। इससे पहले आखिरी चुनाव 2014 में हुए थे। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि 10 साल बाद चुनाव होने और जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छिन जाने के बाद वहां के लोग मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे और पाकिस्तान वैश्विक मंच पर बताएगा कि घाटी के लोग भारत सरकार के फैसले से खुश नहीं है। लेकिन चुनावों में मतदान के पैटर्न ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया। लोकसभा चुनावों के दौरान जम्मू-कश्मीर में 58.58 फीसदी लोगों ने मतदान किया था। वहीं, विधानसभा चुनावों में यह आंकड़ा और ज्यादा बढ़ गया। 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर के 63.88 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस बात से भी पाकिस्तान चिड़ा हुआ था।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में 90 सीटों पर मतदान हुआ था। उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस को इस चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं। इसके बाद अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। शुरुआत में उमर अब्दुल्ला का रुख केंद्र सरकार के प्रति थोड़ा सख्त नजर आया। लेकिन जल्द ही उनके और केंद्र के बीच बेहतरीन सामंजस्य नजर आने लगा। केंद्र और J-K के बेहतर होते रिश्तों को इस बात से समझा जा सकता है कि उमर अब्दुल्ला कई बार खुलेमंच से केंद्र की योजनाओं के साथ तालमेल बढ़ाकर काम करने की बात कह चुके हैं। फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री मोदी ने ओबेसिटी (मोटापे) को लेकर एक स्कीम लॉन्च की थी। पीएम मोदी ने 10 लोगों को इस स्कीम से जोड़ा था, जिसमें उमर अब्दुल्ला भी शामिल थे। उमर अब्दुल्ला ने इस स्कीम से जुड़कर खुशी का इजहार किया था।

केंद्र सरकार कश्मीर के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाने की लगातार कोशिश कर रही है। इसके तहत कश्मीर में जल्द ही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की तैयारी भी हो रही है। यह ट्रेन कटरा से कश्मीर पर चलनी प्रस्तावित है। इस ट्रेन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 19 अप्रैल को ही करने वाले थे, लेकिन किन्हीं कारणों से फिलहाल इसका उद्घाटन टाल दिया गया। कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए रेलवे ने उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) के कटरा-संगलदान सेक्शन के अंतिम भाग का भी निर्माण किया है, जो 272 किलोमीटर लंबा प्रोजेक्ट है।

पाकिस्तान की तिलमिलाहट उस समय खुलकर सामने आ गई थी, जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने खुलेआम भड़काऊ बयान दिए थे। जनरल असीम मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान के ‘गले की नस’ बताया था और विदेशों में रह रहे पाकिस्तानियों से देश की कहानी अपने बच्चों को बताने का भी आग्रह किया था। मुनीर ने इस बात पर जोर दिया कि उनके पूर्वज मानते थे कि हिंदू और मुसलमान जीवन के हर पहलू में अलग-अलग हैं। मुनीर ने यह भी कहा था कि 1.3 मिलियन सैनिकों वाली भारतीय सेना पाकिस्तान को डरा नहीं सकती।

हमले को अंजाम देने वाला TRF कौन?
इस हमले को अंजाम देने की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक आतंकी संगठन ने ली है। जम्मू-कश्मीर में सक्रिय इस आतंकी संगठन को खड़ा करने के पीछे भी पाकिस्तान का ही हाथ है। TRF पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की शाखा के रूप में पैदा हुआ है। आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने के बाद TRF की शुरुआत लश्‍कर की ऑनलाइन यूनिट के रूप में हुई थी। कराची पुलिस के अनुसार, करीब छह महीने में TRF ने ऑनलाइन पॉपुलैरिटी बटोरी। इस दौरान, TRF लश्कर के अलावा तहरीक-ए-मिल्लत इस्लामिया और गजनवी हिंद सहित विभिन्न संगठनों का मिश्रण बनता गया।

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