नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर में तीन दशकों से आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चला रही सुरक्षा एजेंसियां अब तक यह मानती रही थी कि आतंकवादी टूरिस्टों को निशाना नहीं बनाएंगे। लेकिन पहलगाम में आंतकियों ने टूरिस्टों पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। अब तक माना जाता रहा कि टूरिस्टों को निशाना बनाने से लोकल लोगों को आर्थिक नुकसान होता है इसलिए आतंकवादी ऐसा कर अपना लोकल सपोर्ट खोना नहीं चाहते। लेकिन पहलगाम में क्या हुआ?
आतंकियों को फंडिंग का तरीका बदला
सुरक्षा एजेंसियों के अलग अलग अधिकारियों से बात करने पर कई चीजें सामने आई। एक अधिकारी ने कहा कि आर्टिकल 370 हटने के बाद से पाकिस्तान बहुत डेस्परेशन में है और आतंकियों को फंडिंग का तरीका भी बदला है। उन्होंने कहा कि जिस तरह आतंकियों के घुसपैठ की कोशिशें और सीजफायर का उल्लंघन करके आतंकियों को कवर फायर देने की घटनाएं हुई उससे पाकिस्तान की डेस्परेशन साफ है। उन्होंने कहा कि आतंक के आका द्वारा आतंकवादियों को उनकी ‘परफॉर्मेंस’ के हिसाब से फंड उपलब्ध कराया जा रहा है।
दूर बैठे लोग ले रहे फैसला
एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि टूरिस्टों पर हमले से साफ है कि हमले या किसी भी आतंकी वारदात को लेकर फैसला वे नहीं ले रहे जो कश्मीर में हैं, फैसला वहां से दूर बैठे लोग ले रहे हैं। साथ ही स्थानीय लोगों में आतंकवादियों का सपोर्ट काफी कम हुआ है, इसे लेकर भी वे स्थानीय लोगों को चेताना चाह रहे होंगे। अगर हम जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों के साथ गए युवाओं के आंकड़ें देखें तो ये साफ दिखता है। 2022 में 121 युवा अलग अलग आतंकी संगठनों के साथ गए। 2023 में ये नंबर 21 रह गया और पिछले साल यह घटकर 6 तक आ गया।
उन्होंने कहा कि पिछले साल 2.35 करोड़ टूरिस्ट जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पहुंचा। अमरनाथ यात्रा पर पिछले साल 5 लाख से ज्यादा लोग गए। श्रीनगर का लाल चौक जहां पहले लोग जाने से घबराते थे वहां अब हर दिन साढ़े ग्यारह हजार से ज्यादा लोग जा रहे हैं। 90 के दशक में बंद हुए मूवी हॉल खुलने लगे हैं। श्रीनगर में दो मूवी हॉल और बारामूला में एक मूवी हॉल खुल गया। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े ही आतंकवादियों और उनके आकाओं को डराते हैं।