श्रीनगर/नई दिल्ली:
पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन संदिग्ध आतंकवादियों के नाम के साथ स्कैच जारी किए हैं। 20-20 लाख रुपए के तीनों इनामी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के हैं। इनमें दो पाकिस्तानी और एक लोकल अनंतनाग का रहने वाला है। पाकिस्तानियों की पहचान हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तलहा भाई और लोकल आदिल हुसैन ठोकर हैं। इस हमले के पीछे एजेंसियां अभी तक कम से कम इन तीन आतंकवादियों का हाथ मान रही हैं। इनके बैकअप में और भी जो लोकल होंगे। उनकी तलाश की जा रही है। मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अभी तक दो हजार से अधिक लोगों से पूछताछ की है। कुछ को हिरासत में भी लिया गया है।
सुरक्षा एजेंसियों से क्या कहा गया?
मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और एनएसए अजित डोभाल खुद पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। एजेंसियों को कहा गया है कि किसी भी सूरत में हमले को अंजाम देकर भागे आतंकियों तक पहुंचना ही है। इसके लिए तमाम रिर्सास का इस्तेमाल किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि यह तो अभी साफ नहीं है कि आतंकवादियों ने पाकिस्तान की तरफ से कब घुसपैठ की। लेकिन इतना जरूर है कि यह घुसपैठ एक-दो दिनों पहले ही नहीं की होगी। क्योंकि, पहलगाम से पाकिस्तान का सबसे नजदीक इलाका जो पड़ता है। वह ऐबटाबाद और मरी पड़ता है।
ऐबटाबाद वही इलाका है। जहां अमेरिका ने अपने 9/11 के दोषी अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन को 2 मई 2011 को मार गिराया था। लेकिन यह दोनों इलाके भी पहलगाम से 300 से भी अधिक किलोमीटर दूर हैं। मुख्य बॉर्डर तो काफी दूर है। यह भी कि मिनी स्विट्जरलैंड कही जाने वाली बैसरन घाटी एक तरफ से देवदार के घने जंगलों, नदी और दूसरी तरफ से पीर पंजाल की बर्फ से ढकी चोटियों से घिरी हुई है।
भारतीय जमीन में ही कहीं छिपे हैं आतंकवादी
ऐसे में सूत्रों का कहना है कि आतंकी हमले को अंजाम देने के बाद कम से कम आतंकवादी पाकिस्तान तो नहीं भाग सकते। वह छिपे हैं भारतीय जमीन में ही कहीं। जिन्हें ढूंढा जा रहा है। एजेंसियां हमले वाले स्पॉट और आसपास में ऐसी सस्पेक्टेड सिग्नल या लोकेशन का भी पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। जो आतंकियों की हो सकती हैं। क्योंकि, आतंकियों के मामले में यह बात सामने आ रही है कि उन्होंने हमले की वीडियो भी बनाई थी। अगर यह वीडियो वह अपने आकाओ तक लाइव पहुंचा रहे थे तो एजेंसियों के लिए यह बड़ा सबूत और उन तक पहुंचने का बड़ा जरिया बन सकती है।