भारत से युद्ध के लिए बेताब क्यों है कंगाल पाकिस्तान, जनरल मुनीर की साजिश का कैसे जवाब देगा भारत

इस्लामाबाद:

जम्मू कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने भारत को युद्ध की गीदड़भभकी दी है। पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद भारत पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री एक दिन पहले से ही भारत को युद्ध की धमकियां दे रहे हैं। ये धमकियां उस पाकिस्तान की तरफ से आ रही है, जो दुनिया के सामने भूखा-नंगा खड़ा है। अगर उसे विदेशी कर्ज न मिले तो महीनेभर का खर्च चलाना मुश्किल है। ऐसा देश युद्ध की कीमत चुकाने को तैयार है, वो भी भारत जैसे देश के साथ जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

भारत से युद्ध क्यों चाहता है पाकिस्तान
पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान के हाथ की पुष्टि हो चुकी है। भारत ने भी साफ कर दिया है कि वह पहलगाम हमले का पूरी ताकत से जवाब देगा। लेकिन, सवाल यह है कि कब और कैसे। एक सवाल यह भी है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत के साथ सैन्य टकराव का जोखिम क्यों उठाया है? वह भी तब जब उन्होंने उरी और पुलवामा आतंकी हमलों के बाद भारत के सर्जिकल और एयर स्ट्राइक को करीब से देखा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी इतनी मजबूत नहीं है कि वह युद्ध के बोझ को उठा सके। पाकिस्तान खुद चार प्रांतों में से दो में सशस्त्र विद्रोह का सामना कर रहा है। बलूचिस्तान तो टूटने के कगार पर पहुंच गया है।

पाकिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर
दरअसल, पाकिस्तान आजादी के बाद से ही आतंकवाद का एक्सपोर्टर रहा है। यह केवल कोई आरोप नहीं है, बल्कि पूरी तरह से स्थापित सत्य है। आज दुनियाभर में आतंकवादी घटनाओं के तार पाकिस्तान के जुड़ते हैं। इतना ही नहीं, पूरी दुनिया में पाकिस्तानी नागरिकों को शक की निगाह से देखा जाता है। 2018 की उस घटना को भला कोई कैसे भूल सकता है, जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी की अमेरिकी एयरपोर्ट पर कपड़े उतरवाकर चेकिंग की गई थी। पाकिस्तान खुद आतंकवाद का भुक्तभोगी है। इसके बावजूद पाकिस्तान की सरकारी मशीनरी आतंकवाद को शह देने से बाज नहीं आ रही।

पहलगाम हमला बाकी आतंकी हमलों से अलग क्यों
22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी गई। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने छुट्टी मनाने आए लोगों पर हमले की जिम्मेदारी ली है। बताया जाता है कि एलईटी का एक शीर्ष कमांडर सैफुल्लाह कसूरी इसका मास्टरमाइंड है। पर्यटकों को निशाना बनाना, मारे गए लोगों की संख्या और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाना पहलगाम में हुए हमलों को हाल के वर्षों में हुए किसी भी हमले से अलग बनाता है। यह हमला सुनियोजित और समयबद्ध इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि इस समय न सिर्फ जम्मू कश्मीर के हालात सुधर रहे हैं, बल्कि पर्यटन में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।

पाकिस्तानी सेना के इशारे पर हुआ पहलगाम हमला
हालांकि पाकिस्तान इस हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है। वैसे भी कोई भी देश किसी दूसरे देश में आतंकवादी हमले की बात कभी कबूल नहीं करेगा। लेकिन, जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में जितने बड़े पैमाने पर इस आतंकी हमले को अंजाम दिया गया, इससे पूरा शक है कि इसे पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई की शह के बगैर अंजाम नहीं दिया जा सकता था। इस हमले में पाकिस्तानी आतंकवादियों के शामिल होने, उन्हें पाकिस्तानी सेना में कमांडो ट्रेनिंग दिए जाने की भी अपुष्ट खबरें हैं।

पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर है मास्टरमाइंड
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने चंद दिनों पहले ही प्रवासी पाकिस्तानियों के एक सम्मेलन में किसी जिहादी मौलाना की तरह तकरीर की थी। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ भारत के खिलाफ जहर उगला था, बल्कि खुद को हिंदुओं का दुश्मन भी करार दिया था। जनरल मुनीर ने 16 अप्रैल को कहा, “हमारे पूर्वजों का मानना था कि हम जीवन के हर संभव पहलू में हिंदुओं से अलग हैं। हमारा धर्म अलग है। हमारे रीति-रिवाज अलग हैं… यही दो-राष्ट्र सिद्धांत की नींव थी।”

भारत को भड़काना चाहता है पाकिस्तानी सेना प्रमुख
मुनीर की हिंदू विरोधी टिप्पणी और आतंकवादियों द्वारा गैर-मुस्लिम पर्यटकों को निशाना बनाना भारत में व्यापक आक्रोश भड़काने और मोदी सरकार को प्रतिक्रिया देने के लिए था। भारत ने आतंकवाद पर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं हालांकि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि उनके देश का पहलगाम आतंकी हमले से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन भारत इस पर यकीन नहीं कर रहा है। भारत ने बुधवार को सीसीएस में सिंधु जल संधि को निलंबित करने, पाकिस्तानियों के लिए वीजा रद्द करने और पाकिस्तानी उच्चायोग की संख्या कम करने सहित कूटनीतिक हमले के साथ अपने इरादे का संकेत दिया। हालांकि, कूटनीतिक हमले से परे भी उम्मीदें हो सकती हैं।

भारत-पाकिस्तान में छोटा युद्ध संभव
भारत और पाकिस्तान परमाणु सशस्त्र देश हैं। ऐसे में इनके बीच पूर्ण युद्ध की कल्पना नहीं की जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो इसका परिणाम भयावह होगा और इसे रोकने के लिए पूरी दुनिया एड़ी-चोटी का जोर लगा देगी। भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार युद्ध हुए हैं, 1947, 1965, 1971 और 1999 में। चारों युद्धों को पाकिस्तान ने शुरू किया, लेकिन खत्म भारत ने किया। ऐसे में दोनों देशों में एक सीमित युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है, जिसके उद्देश्य निश्चित होंगे, जैसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर कब्जा करना।

पाकिस्तान में असीम मुनीर की बढ़ती अलोकप्रियता
पाकिस्तान की सैन्य स्थापना अभूतपूर्व दबाव में है और सेना प्रमुख असीम मुनीर बढ़ती अलोकप्रियता का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थन कई वर्षों से मुनीर के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा हालात को लेकर भी मुनीर की आलोचना हो रही है। बलूचिस्तान में बलूच विद्रोही पाकिस्तानी सेना पर हमले कर रहे हैं, वहीं खैबर-पख्तूनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने खुद की सल्तनत कायम कर ली है, जहां पाकिस्तानी सेना कदम नहीं रख सकती है। पंजाब नहर परियोजना के बाद सिंध में भी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी है, क्योंकि लोगों को डर है कि इस नहर के कारण उनके यहां सूखा पड़ सकता है। इस नहर को बनाने का ठेका पाकिस्तानी सेना के पास है।

तो इसलिए भारत से युद्ध करेगा पाकिस्तान
पाकिस्तान में सेना के खिलाफ बढ़ते गुस्से को दबाने के लिए और खोई लोकप्रियता को फिर से हासिल करने के लिए जनरल मुनीर भारत के साथ सीमित युद्ध का सपना देख रहे हैं। यह पाकिस्तानी सेना का एक जांचा-परखा तरीका भी है कि, जब आंतरिक मोर्चों पर मुश्किलें आए तो भारत के साथ सीमा पर तनाव भड़का दो। जनरल परवेज मुशर्रफ ने भी 1999 में यही किया। याह्या खान से लेकर जियाउल हक इसी भारत विरोधी नफरत की पैदावार हैं। बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान की कठपुतली सरकार में इतनी हिम्मत भी नहीं है कि वह अपनी गरीब अवाम के खातिर पाकिस्तानी सेना पर कोई अंकुश लगा सके।

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