नई दिल्ली
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) ने सरकार से एक खास गुजारिश की है कि वह उन लोगों पर सख्त कार्रवाई करे जो समाज में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी का कहना है कि कुछ लोग कश्मीरी लोगों और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ गलत बातें फैला रहे हैं।
पार्टी पोलित ब्यूरो ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है कि, ‘जब पूरा देश एकजुट होकर पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा कर रहा है, तब जम्मू-कश्मीर के छात्रों और व्यापारियों को अलग-अलग राज्यों में धमकाया जा रहा है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से ऐसी खबरें आ रही हैं।’ इसका मतलब है कि कुछ लोग कश्मीरी छात्रों और व्यापारियों को डरा रहे हैं, जो कि गलत है।
कश्मीरियों को धमकाने की शिकायत
पार्टी ने आगे दावा किया है कि देहरादून में एक सांप्रदायिक संगठन ने धमकी दी थी। इस कथित धमकी के बाद कई कश्मीरी छात्र अपने घर वापस चले गए। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी कश्मीरी लोगों और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ गलत बातें फैलाए जाने के आरोप लगाए गए हैं। सीपीएम ने कहा कि, ‘पूरे देश ने देखा है कि कश्मीरियों ने एक आवाज में आतंकवादी संगठन का विरोध किया है।’
विघटनकारी तत्वों को रोकने की मांग
पार्टी ने चेतावनी दी है कि ये सब गतिविधियां आतंकवादियों की मदद कर रही हैं। सीपीएम ने मांग की है कि, ‘अधिकारियों को उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो ऐसी विघटनकारी गतिविधियों में शामिल हैं। उन लोगों के प्रति कोई नरमी नहीं दिखानी चाहिए जो लोगों की एकता को तोड़ने की कोशिश करते हैं।’ इसका मतलब है कि सरकार को ऐसे लोगों को बिल्कुल भी नहीं छोड़ना चाहिए जो देश में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं।
दोषियों को सजा मिले-सीपीएम
सीपीएम का मानना है कि ऐसे लोगों पर कार्रवाई करना बहुत जरूरी है। इससे देश में शांति और एकता बनी रहेगी। सरकार को इस मामले में गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और दोषियों को सजा देनी चाहिए। ताकि, कोई भी व्यक्ति भविष्य में ऐसी हरकत करने से पहले डरे। देश में भाईचारा और सौहार्द बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। हमें मिलकर ऐसे तत्वों का विरोध करना चाहिए जो समाज को बांटने की कोशिश करते हैं।
उमर अब्दुल्ला भी कर चुके हैं शिकायत
बता दें कि गुरुवार को इसी तरह की शिकायतें जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की ओर से भी की गई थीं। अब्दुल्ला ने संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ऐसे तत्त्वों को रोकने के लिए संपर्क करने की भी बात कही थी। दरअसल, 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में जिस तरह से 26 बेगुनाहों को आतंकियों ने मौत की नींद सुला दिया, उससे पूरे देश में गुस्से का माहौल है और ऐसी स्थिति में अगर कश्मीरी होने की वजह से किसी को किसी दूसरे राज्य में परेशान किया जाता है तो यह बहुत ही गंभीर मामला है।