कोलकाता:
पश्चिम बंगाल में एक यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने काफी अहम टिप्पणी की है। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता के स्तनों को छूने का प्रयास गंभीर यौन उत्पीड़न है। यह बलात्कार का नहीं है। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने पोक्सो के तहत दर्ज हुए एक मामले में आरोपी को गंभीर यौन उत्पीड़न और बलात्कार का प्रयास दोनों का दोषी मानते हुए उसे 12 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।
निचली कोर्ट का फैसला पलटा
कलकत्ता हाई कोर्ट ने निचली कोर्ट निचली अदालत द्वारा पोक्सो के तहत एक आरोपी को दोषी ठहराने और सजा सुनाने के पहले के आदेश को निलंबित कर दिया। इस मामले में निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। आरोपी की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति बिस्वरूप चौधरी की खंडपीठ ने यह भी कहा कि मामले में पीड़िता की चिकित्सा जांच में किसी भी तरह के प्रवेश या प्रवेश के प्रयास का संकेत नहीं मिला।
एक बार ऐसी टिप्पणी पर हो चुका विवाद
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे में स्तन को छूना एक गंभीर यौन उत्पीड़न है, लेकिन इस बलात्कार का प्रयास का नहीं माना जा सकता है। पीड़िता के बयान के अनुसार आरोपी ने शराब के नशे में उसके स्तनों को छूने की कोशिश की। हालांकि, इसके साथ ही खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसकी टिप्पणियों का अपील की सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। गौरतलब हो कि ऐसे ही एक मामले को काफी विवाद खड़ा हुआ था। जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि हिला के निजी अंग पकड़ना और नारा तोड़ना दुष्कर्म की कोशिश नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था।