नई दिल्ली
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ा। भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और क्षेत्र में अशांति फैलाने का आरोप लगाया। भारत ने यह कार्रवाई पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की। इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हुई है। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में सबसे बड़ा हमला था। भारत ने UN में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के कबूलनामे को भी याद दिलाया, जिसमें उन्होंने आतंकवादी समूहों को समर्थन देने की बात कही थी। भारत ने पाकिस्तान को एक ‘धूर्त राष्ट्र’ (rogue state) बताया जो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
भारतीय प्रतिनिधि ने मन भर सुनाया
न्यूयॉर्क में आतंकवाद पीड़ित संघ नेटवर्क के लॉन्च पर भारत की डिप्टी परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव एबेंसडर योजना पटेल ने आतंकवाद की जमकर निंदा की। उन्होंने बिना पाकिस्तान का नाम लिए, उसके प्रतिनिधिमंडल को झूठे आरोप लगाने के लिए फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि भारत सीमा पार आतंकवाद का शिकार है। योजना पटेल ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के एक टीवी इंटरव्यू का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि ख्वाजा आसिफ ने खुद माना है कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और फंडिंग करता रहा है।
दुनिया को भी आईना दिखाया
योजना पटेल ने कहा, ‘पूरी दुनिया ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को यह कबूल करते हुए सुना है कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों का समर्थन, प्रशिक्षण और फंडिंग करता रहा है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह खुला कबूलनामा किसी को भी हैरान नहीं करता है और पाकिस्तान को एक ‘धूर्त राष्ट्र’ (rogue state) के रूप में उजागर करता है जो वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है।’ उन्होंने यह बात भारत के ‘जवाब देने के अधिकार'(Right of Reply) का इस्तेमाल करते हुए कही। योजना पटेल ने कहा कि दुनिया को अब आंखें नहीं मूंदनी चाहिए।
पहलगाम हमले की UN कर चुका है निंदा
पिछले हफ्ते, UN सुरक्षा परिषद ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी। परिषद ने कहा था कि दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। 15 देशों की परिषद ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इस ‘निंदनीय आतंकवादी कृत्य’ के आयोजकों, फाइनेंसरों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। बयान में कहा गया, ‘उन्होंने जोर दिया कि इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, और सभी राज्यों से आग्रह किया कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और प्रासंगिक सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों के अनुसार, इस संबंध में सभी संबंधित अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करें।’