नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस कायराना हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है। सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ त्वरित और कड़े कदम उठाए हैं, जिसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना और अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना शामिल है। अब लगातार हाई-लेवल बैठकों का दौर जारी है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और अन्य सशस्त्र बलों के प्रमुखों के साथ अहम बैठक की। वहीं कल सीसीएस की भी एक जरूरी बैठक होनी है।
जानकारी के अनुसार पीएम मोदी की अध्यक्षता में कल कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक प्रस्तावित है। सूत्रों की मानें तो इन बैठकों में पाकिस्तान के खिलाफ बड़े सैन्य और कूटनीतिक एक्शन की रणनीति पर चर्चा हो रही है, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत के जीरो टॉलरेंस नीति को और मजबूत करेगा। वहीं आज पीएम आवास पर जो बैठक हो रही है उसमें रक्षा मंत्री, एनएसए समेत तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद हैं।
पाकिस्तान पर फाइनल स्ट्राइक की तैयारी
पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की जान गई, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है, जिसके तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े होने के सबूत सामने आए हैं। इस हमले ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सरकार का रुख स्पष्ट है—आतंकियों और उनके समर्थकों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी की हालिया बैठकों में सैन्य कार्रवाई के सभी विकल्पों—थल, जल और वायु—पर गहन विचार-विमर्श हुआ है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संकेत दिए हैं कि ‘पर्दे के पीछे सक्रिय ताकतों’ को करारा जवाब दिया जाएगा। इसके लिए भारतीय सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है और जम्मू-कश्मीर में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिए गए हैं। एनआईए की एक विशेष टीम हमले की साजिश और आतंकी नेटवर्क का पता लगाने में जुटी है।
कूटनीतिक मोर्चे पर पाक को घेरने की तैयारी
इसके अलावा, कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग करने की रणनीति बना रहा है। विदेश मंत्रालय ने कई देशों के साथ संपर्क साधा है, और नीदरलैंड जैसे देशों ने इस हमले की निंदा करते हुए भारत के साथ एकजुटता दिखाई है। पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में डालने की मांग भी जोर पकड़ रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सर्जिकल स्ट्राइक या उससे भी बड़े ऑपरेशन की योजना बना सकता है, जिससे पाकिस्तान को लंबे समय तक सबक मिले।
पिछली सीसीएस बैठक में क्या हुआ?
23 अप्रैल 2025 को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई सीसीएस बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े फैसले लिए गए, जिन्होंने पड़ोसी देश को हक्का-बक्का कर दिया। बैठक, जो ढाई घंटे से अधिक चली, में 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। इसके साथ ही अटारी-वाघा बॉर्डर चेकपोस्ट को बंद कर दिया गया, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सभी प्रकार के वीजा रद्द कर दिए गए, और पाकिस्तानी राजनयिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया। भारत ने इस्लामाबाद में अपने दूतावास को भी बंद करने का फैसला किया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह हमला जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव और विकास के प्रयासों को निशाना बनाने की साजिश थी, जिसमें सीमा पार आतंकवाद की स्पष्ट भूमिका है। इन फैसलों से पाकिस्तान में बौखलाहट है, और वहां के पीएमओ ने आपात राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक बुलाई है।