इस्लामाबाद
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में एक बार फिर पाकिस्तान पर आरोप लगा है। यह हमला दिखाता है कि पाकिस्तानी आर्मी कैसे आतंकवादी समूहों का इस्तेमाल करके अपने घरेलू लक्ष्यों को पूरा करती है। यह हमला ऐसे समय हुआ, जब पाकिस्तानी आर्मी कई परेशानियों से जूझ रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने अंदरुनी समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए पहलगाम में आतंकवाद का सहारा लिया है। हालांकि दोनों देशों में युद्ध जैसी स्थिति के बावजूद पाक सेना बैक चैनल बातचीत के जरिए संघर्ष से बचने का रास्ता भी चुन सकती है। पाक को अब भारत से युद्ध का डर सता रहा है, ऐसे में वह तीसरे देशों की ओर मध्यस्थता के लिए देख रहा है।
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पहलगाम हमले में धर्म के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाया गया। इससे हमले से छह दिन पहले मुनीर ने अपने एक भाषण में पाकिस्तान की इस्लामिक पहचान और टू-नेशन थ्योरी पर जोर देते हुए कहा था कि हिंदू और मुसलमान दो बिल्कुल अलग कौम हैं। इससे सीधेतौर पर हमले का लिंक पाक आर्मी चीफ के भाषण से जुड़ता है।
समस्याओं से ध्यान हटाने की कोशिश
असीम मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तान की सेना कई तरह की समस्याओं से जूझ रही है। एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था खराब हो रही है तो दूसरी ओर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में विद्रोही गुट सिर उठा रहे हैं। आम लोगों का भी सेना से विश्वास कम हुआ है। सेना के राजनीतिक मामलों में दखल देने से लोगों में गुस्सा है। इस सबके चलते 2022 में सेना प्रमुख बने मुनीर की कुर्सी खतरे में है।
मुनीर की कोशिश सेना की गिरती हुई साख को बचाने की की है। ऐसे में पहलगाम हमले के पीछे उनके कई मकसद हो सकते हैं। जैसे- कश्मीर के मुद्दे पर देश को एकजुट करते हुए सेना के लिए समर्थन मजबूत करना। कश्मीर पर भारत के सबकुछ सामान्य होने के दावे को कमजोर करना और भारत के साथ एक छोटे युद्ध के जरिए सेना की छवि को सुधारना।
पर्दे के पीछे होगी बातचीत!
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सिंधु जल समझौता रद्द करने, सीमाएं बंद करने और राजनयिकों को वापस बुलाने जैसे फैसले लिए हैं। भारत ने कड़ी जवाबी कार्रवाई की बात कही है, जिससे लगता है कि भारत सैन्य कार्रवाई कर सकता है। पाकिस्तान ने ये कहा भी है कि उनके पास भारत की ओर से हमला होने की खुफिया जानकारी ही है।
भारत और पाक में तनातनी के बावजूद बातचीत का रास्ता बंद नहीं है। दोनों देशों में तनाव कम करने के लिए पर्दे के पीछे (बैक चैनल) बातचीत हो सकती है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर से बात की है। रुबियो ने भारत से पाकिस्तान के साथ मिलकर तनाव कम करने और दक्षिण एशिया में शांति बनाए रखने की अपील की है। सऊदी के विदेश मंत्री ने भारत और पाक के विदेश मंत्रियों से बात की है और ईरान ने भी मध्यस्थता की बात कही है। ऐसे में ये उम्मीद भी की जा रही है कि बातचीत से चीजों को ठीक करने की तरफ बढ़ा जा सकता है।