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Tuesday, July 8, 2025
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ट्रंप भले ही ग्रीनलैंड को सीधे न खरीद सकें, लेकिन एक उपाय अमेरिका को दे सकता इस आइलैंड पर वर्चस्व

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वॉशिंगटन:

अमेरिका का नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीन लैंड को हासिल करने के लिए भविष्य में सेना का इस्तेमाल करने की संभावना से इनकार नहीं किया है। ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप कहा जाता है। यह डेनमार्क के अधीन एक स्वायत्त क्षेत्र है। माना जाता है कि यह द्वीप खनिज संपदा से भरा हुआ है और अमेरिका, रूस और चीन के लिए सामरिक महत्व रखता है। फर्स्ट पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीनलैंड 80 प्रतिशत बर्फ से ढका हुआ क्षेत्र है और इसमें अज्ञात खनिजों की भरमार है। माना जाता है कि इसकी पिघलती बर्फ की चोटियों में अरबों डॉलर मूल्य के हाइड्रोकार्बन और अन्य संसाधन छिपे हुए हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड में रुचि पहली बार 2019 में राष्ट्रपति के रूप में उनके पहले कार्यकाल के दौरान दिखाई थी और हाल ही में एक बार फिर द्वीप पर नियंत्रण पाने की इच्छा जताई है। क्या डोनाल्ड ट्रंप तकनीकि रूप से ग्रीनलैंड को खरीद सकते हैं, आइये जानते हैं।

क्या डोनाल्ड ट्रंप ग्रीनलैंड को सीधे खरीद सकते हैं?
फर्स्ट पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीनलैंड की प्रत्यक्ष खरीद ऐतिहासिक उदाहरणों जैसे कि डेनमार्क की ओर से 17वीं शताब्दी में सेंट क्रॉइक्स की खरीद या अमेरिका की ओर से फिलीपींस और वर्जिन आइलैंड्स के अधिग्रहण के साथ मेल खाएंगी। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय कानून और ग्रीनलैंड की स्वायत्तता महत्वपूर्ण बाधाएं पेश करते हैं।

स्टेट डिपार्टमेंट के पूर्व वकील स्कॉट एंडरसन ने पोलिटिको से कहा, ”अगर इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैध और न्यायसंगत नहीं माना जाता है तो इससे ग्रीनलैंड के साथ संबंधों से लाभ उठाने में सभी प्रकार की जटिलताएं पैदा होंगी।” ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि ग्रीनलैंड बिक्री के लिए नहीं है और कभी भी बिक्री के लिए नहीं होगा, जो डेनमार्क से इस आइलैंड की स्वतंत्रता के लिए प्रयासरत हैं।

क्या ट्रंप के पास है किसी सौदे का उपाय?
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप भले ही ग्रीनलैंड को सीधे न खरीद सकें, लेकिन अमेरिका ‘कॉमपैक्ट ऑफ फ्री एसोसिएशन'(COFA) समझौते के माध्यम से संबंधों को मजबूत कर सकता है। अमेरिका के तीन प्रशांत द्वीप देशों- माइक्रोनेशिया, पलाऊ और मार्शल द्वीप के साथ ये समझौतें हैं। इन देशों को सामूहिक रूप से फ्रीली एसोसिएटेड स्टेट्स (स्वतंत्र रूप से संबद्ध राज्य) के रूप में जाना जाता है। यह समझौता अमेरिका को ग्रीनलैंड तक विशेष सैन्य पहुंच प्रदान करेगा, साथ ही इसकी रक्षा और अर्थव्यवस्था को भी सहायता प्रदान करेगा।

रिपोर्ट में पोलिटिको के हवाले से बताया गया है कि पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के चीफ ऑफ स्टाफ एलेक्स ग्रे ने कहा, ”डेनमार्क को लगता है कि ग्रीनलैंड को स्वतंत्रता मिलने जा रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि डेनमार्क की सैन्य क्षमता स्वतंत्रता के बाद ग्रीनलैंड की रक्षा करने के लिए अपर्याप्त है, जिससे कॉमपैक्ट ऑफ फ्री एसोसिएशन मॉडल आकर्षक बन जाता है।

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