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पाकिस्तान में वोटिंग खत्म, अब मतगणना में नवाज शरीफ को ‘सेलेक्ट’ कर रही सेना, भारत संग कैसे रह सकते हैं रिश्ते

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इस्लामाबाद

पाकिस्तान में गुरुवार को आम चुनाव के लिए वोटिंग हुई है। इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की दोबारा सत्ता में वापसी की उम्मीद है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि शरीफ को सेना का समर्थन प्राप्त है और पाकिस्तान की सेना दशकों से देश की राजनीति को नियंत्रित कर रही है। सेना के समर्थन के अलावा उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी इमरान खान जेल में हैं। इमरान के इस चुनाव में जेल में होने ने भी नवाज शरीफ की राह काफी आसान की है। ऐसे में नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएलएन की जीत और उनके चौथी बार पीएम बनने की उम्मीद है। इस चुनाव के सबसे अहम चेहरे नवाज शरीफ को 2017 में भ्रष्टाचार के आरोप में प्रधानमंत्री पद से हटाया गया था। शरीफ ने तब खुद को सत्ता से हटाने के लिए सेना और खुफिया सेवाओं को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन कुछ सीलों में चीजें बदलीं और 2023 में निर्वासन के बाद शरीफ सेना के चुने हुए उम्मीदवार के रूप में पाकिस्तान लौटे हैं।

दूसरी ओर 2018 में चुनाव जीतकर पीएम बनने वाले इमरान खान के पीछे भी उस समय सेना के समर्थन था लेकिन यह साझेदारी केवल कुछ साल तक ही चली। शीर्ष सैन्य नियुक्ति और विदेश नीति पर नियंत्रण के लिए खान का सेना से टकराव हुआ और नतीजा ये हुआ कि इमरान ना सिर्फ सत्ता से बाहर हो गए बल्कि उनको भ्रष्टाचार के मामले में जेल भी जाना पड़ा। इमरान खान फिलहाल जेल में बंद हैं और उन्हें इस चुनाव को लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इसके बावजूद वह एक बेहद लोकप्रिय राजनेता बने हुए हैं। नवाज और इमरान के बाद तीसरा चेहरा बिलावल भुट्टो का है। पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का नेतृत्व करते हैं। पीपीपी पाकिस्तान की बड़ी सियासी ताकत रही है लेकिन बीते कुछ सालों में ये पार्टी कमजोर हुई है।

चुनाव के भारत के लिए क्या मायने?
पाकिस्तान के चुनाव को देखकर ऐसा लगता है कि नवाज शरीफ की सत्ता में वापसी लगभग तय है। ऐसे में सवाल है कि शरीफ के सत्ता में आने का भारत के लिए क्या मतलब होगा और क्या शरीफ भारत के साथ बेहतर रिश्ते पेश कर सकते हैं। पर्यवेक्षकों का तर्क है शरीफ भारत से बातचीत के दरवाजे दूसरे नेताओं के मुकाबले ज्यादा खुले रखत हैं। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की प्रसिद्ध लाहौर यात्रा शरीफ के कार्यकाल के दौरान हुई थी तो 2014 में नरेंद्र मोदी के साथ भी उनकी अच्छी मुलाकातें हुई थीं। इस चुनाव के दौरान भी शरीफ ने एक रैली में कहा कि अगर पाकिस्तान पड़ोसियों के साथ संघर्ष करता रहा तो वह विकास नहीं कर पाएगा। शरीफ निश्चित ही भारत से बेहतर संबंधों की बात कर रहे है लेकिन ये भी एक सच है कि बिना पाकिस्तानी सेना की मर्जी के वह ये नहीं कर सकते। पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कई बार भारत के लिए कड़ी बातें की हैं लेकिन उन्होंने 2021 में नियंत्रण रेखा पर शुरू हुए संघर्ष विराम को भी जारी रखा है। ऐसे में सेना का रुख क्या होगा, ये देखना अभी बाकी है।

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