नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार स्वतंत्रता दिवस समारोह में खास मेहमानों को बुलाया है। ये खास मेहमान हैं 150 महिला सरपंच। इन्होंने सरकारी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने में बेहतरीन काम किया है। न्यूज18 की खबर के मुताबिक, इन्हें स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने का न्योता मिला है। ये सभी महिला सरपंच ‘प्रधानमंत्री लोक प्रशासन उत्कृष्टता पुरस्कार’ की सूची में शामिल ‘उपलब्धकर्ताओं’ में से चुनी गई हैं। आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, मेघालय और उत्तर प्रदेश से चुनी गईं इन सरपंचों ने सरकारी योजनाओं को लागू करने में असाधारण प्रदर्शन और नवाचार का परिचय दिया है।
इस पहल के बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘150 महिला सरपंचों को बुलाने का फैसला सरकार की दोतरफा पहल है।’ उन्होंने कहा, ‘यह पंचायत स्तर पर राजनीतिक नेतृत्व को बढ़ावा देने और उसे पहचान दिलाने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘इसका उद्देश्य महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीति और प्रशासन में भागीदारी के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करना है, चाहे वह सरपंच के रूप में हो या पंचायत सदस्य के रूप में। यह निर्णय नारी शक्ति को बढ़ावा देने के मोदी सरकार के व्यापक अभियान के अनुरूप है।’
नारी शक्ति अभियान को और मजबूती मिलेगी
हाल ही में 50 से अधिक ग्रामीण लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी हार के मद्देनजर यह पहल मोदी सरकार द्वारा एक केंद्रित पंचायत आउटरीच पहल शुरू करने के प्रयासों की तरह भी दिखती है। महिलाओं को आमंत्रित करके, प्रशासन जमीनी स्तर पर नेतृत्व और अपने नारी शक्ति अभियान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि कर रहा है। यह प्रयास न केवल इन नेताओं को पहचान और स्वीकृति देता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के साथ संबंधों के पुनर्निर्माण और मजबूतीकरण का भी प्रयास करता है, जो महिलाओं को सशक्त बनाने और ग्रामीण शासन को बढ़ाने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करता है।
इसके पीछे सरकार का क्या मकसद?
योजनाओं में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह पहल स्थानीय शासन को सशक्त बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के समर्पण को उजागर करती है कि आवश्यक सेवाएं देश के हर कोने तक पहुंचे। लेकिन, इसे पंचायत स्तर पर एक आउटरीच कार्यक्रम के रूप में भी देखा जा रहा है। सरकार उन महिला नेताओं को तैयार और सशक्त बनाना चाहती है जो जमीनी स्तर पर राजनीति में शामिल हों और ग्रामीण प्रशासन में हिस्सा लें।’