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Friday, June 27, 2025
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केजरीवाल का दांव AAP को जिताएगा चुनाव? कांग्रेस के साथ बीजेपी के लिए कितनी बड़ी चुनौती

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नई दिल्ली :

अरविंद केजरीवाल की तिहाड़ जेल से रिहाई के बाद अब उनके इस्तीफे के ऐलान से सियासत गरमा गई है। केजरीवाल के सरप्राइज ऐलिमेंट ने केजरीवाल के विरोधियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। हर किसी के मन में यही सवाल है कि आखिर अरविंद केजरीवाल का ये दांव कितना कामयाब होगा। बीजेपी और कांग्रेस को इस फैसले से फायदा होगा या नुकसान? ऐसा इसलिए क्योंकि आम आदमी पार्टी के संयोजक ने दिल्ली में जल्द से जल्द चुनाव कराने की भी मांग रखी है। पहले से ही हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनाव को लेकर सियासी घमासान छिड़ा है।

आने वाले महीनों महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव हैं। अब माना जा रहा कि दिल्ली के चुनाव भी इसी के साथ हो सकते हैं। ऐसे में केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान कर जो इमोशनल कार्ड खेला है, उसे जनता कैसे लेती है देखना दिलचस्प होगा। क्या केजरीवाल का दांव आप को चुनाव जिताएगा? कांग्रेस के साथ बीजेपी के लिए ये कितनी बड़ी चुनौती होगी, आइए जानते हैं ऐसे ही कई सवालों के जवाब।

एंटी इन्कंबेंसी को करेगा बेअसर?
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल तीन बार दिल्ली के सीएम पद की शपथ ले चुके हैं। बीते 10 सालों से वो लगातार दिल्ली के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इतने लंबे कार्यकाल के बाद सरकार को लेकर जनता में एक एंटी इन्मकंबेंसी फैक्टर हो जाता है। केजरीवाल को इस बात पूरा आभास रहा होगा, यही वजह है कि उन्होंने इस्तीफे वाला दांव खेल दिया। पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि इससे जनता के बीच सरकार को लेकर नाराजगी जरूर दूर होगी। सत्ता विरोधी लहर का असर कहीं न कहीं इस फैसले बेअसर हो सकता है। हालांकि, ये कितना सफल होगा ये तो दिल्ली चुनाव नतीजों के बाद ही स्पष्ट होगा।

बीजेपी के खिलाफ कितनी कारगर रणनीति
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी को लेकर बीजेपी लगातार दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर सवाल उठाती रही है। भ्रष्टाचार का आक्षेप लगा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को टारगेट करती रही। यही नहीं उनके जेल में रहने के दौरान बीजेपी लगातार उनका इस्तीफा मांग रही थी। उस समय केजरीवाल ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। अब जेल बाहर आते ही उन्होंने इस्तीफा देकर बीजेपी को ही बैकफुट पर धकेल दिया। यही वजह है कि अब बीजेपी ही सवाल उठा रही कि केजरीवाल ने जेल से छूटने के बाद इस्तीफे की पेशकश क्यों की।

बीजेपी को लग गया कि आम आदमी पार्टी के मुखिया ने कहीं न कहीं सीएम पद छोड़ने और जल्दी चुनाव के कराने की मांग करके एक मनोवैज्ञानिक बढ़त जरूर ले ली है। बीजेपी भी इस बात को समझ रही तभी पार्टी ने केजरीवाल के इस्तीफे वाले दांव पर घेरा है। बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आम आदमी पार्टी के मुखिया से पूछा है कि ’48 घंटे का राज क्या है, 48 घंटे में वो क्या-क्या सेटल करना चाहते हैं’। भले ही बीजेपी ने केजरीवाल को घेरने की कोशिश की है। सवाल अब भी यही है कि आप का नया पैंतरा कितना कारगर रहेगा, ये आगामी चुनाव से तय होगा।

लोकसभा चुनाव के नतीजे
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कोई भी फैसला लेते हैं तो उसके पीछे कोई खास वजह जरूर होती है। अब उन्होंने दो दिन बाद दिल्ली सीएम पद से इस्तीफे की घोषणा करके एक तरह से मास्टरस्ट्रोक चला है। ऐसा इसलिए क्योंकि केजरीवाल को इसी साल संपन्न हुए लोकसभा चुनाव नतीजों ने चौंका दिया था। एक तो वो तिहाड़ जेल में थे। दिल्ली में चुनाव से ठीक पहले उन्हें पैरोल मिली थी। उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए जमकर प्रचार भी किया। बावजूद इसके दिल्ली की सभी सात सीटें बीजेपी के पाले में चली गईं। ये स्थिति तब हुई जब केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन था। यही नहीं AAP विपक्षी INDIA गठबंधन का हिस्सा थी। इसके बाद भी न तो कांग्रेस और न ही आप दिल्ली में एक भी सीट जीत सकी। ऐसा माना जा रहा कि दिल्लीवालों का मूड समझते हुए ही केजरीवाल ने अब इस्तीफे का दांव चला है।

आप की चुनावी रणनीति?
अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह से रविवार को दिल्ली सीएम पद से इस्तीफे का ऐलान किया, उसने सियासी गलियारे में नई चर्चा छेड़ दी है। राजनीतिक जानकार कहीं न कहीं इस दांव को चुनावी रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल, आम आदमी पार्टी इस बार के हरियाणा चुनाव में सभी 90 सीटों पर दावेदारी कर रही है। हालांकि, पार्टी के पास हरियाणा में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। ऐसे में केजरीवाल ही वहां उनके ट्रंप कार्ड होंगे। ये बात पार्टी नेतृत्व बखूबी समझ रहा है। ऐसे में सोची समझी रणनीति के तहत केजरीवाल दिल्ली का सीएम पद छोड़ रहे, जिससे वो हरियाणा चुनाव में जमकर प्रचार अभियान चला सकें।

अगर केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने रहते तो उनका खास फोकस राष्ट्रीय राजधानी पर रहता। इस्तीफे के चलते अब वो हरियाणा को तरजीह दे सकेंगे। इससे वहां आप के कैडर और भी एक्टिव हो सकेंगे, उनका मनोबल बढ़ेगा। हरियाणा खुद अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य है ऐसे में पार्टी वहां मजबूत दावेदारी जरूर पेश करना चाहेगी। इसके अलावा दिल्ली चुनाव में भी केजरीवाल का इस्तीफे वाला इमोशनल कार्ड काम आ सकता है। यही नहीं आने वाले दिनों में महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव हैं तो पार्टी वहां भी केजरीवाल के इस त्याग को मुद्दा बनाने का प्रयास जरूर करेगी, जिससे जनता का सहानुभूति पार्टी को मिल सके।

बीजेपी का अगला एक्शन क्या होगा?
अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से बाहर आते ही अपना मास्टर कार्ड चल दिया है। वो दिल्ली के सीएम तो थे लेकिन उनके पास पावर नहीं बची थी। ऐसे में उन्होंने इस्तीफे वाला दांव चला। हालांकि, उनके इस फैसले ने कहीं न कहीं बीजेपी के रणनीतिक प्लान को तगड़ी चोट पहुंचाई है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब बीजेपी सीधे तौर पर केजरीवाल को टारगेट नहीं कर पाएगी। बीजेपी की ओर से लगातार दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस को लेकर सीएम केजरीवाल का इस्तीफा मांगा जा रहा था। केजरीवाल ने इसका जवाब इस्तीफा देकर दे दिया। अब बीजेपी के अटैक पर वो पलटवार में कह सकते हैं कि मैंने इस्तीफा दे दिया है। केजरीवाल इस फैसले से जनता की सहानुभूति भी हासिल करना चाहेंगे, ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी का अगला एक्शन क्या रहेगा।

अब कांग्रेस क्या करेगी?
आप मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सीएम पद छोड़ने का ऐलान कर बीजेपी ही नहीं कांग्रेस की भी टेंशन बढ़ा दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि हरियाणा चुनाव हैं। ग्राउंड से लगातार ऐसी खबरें आ रही थी कि इस बार राज्य की सत्ताधारी बीजेपी के लिए हालात अच्छे नहीं नजर आ रहे। वहीं कांग्रेस को लेकर अब तक पॉजीटिव रिपोर्ट आ रही थी। हालांकि, अब केजरीवाल के हरियाणा में एक्टिव होने से कांग्रेस के मन में ये डर जरूर रहेगा कि कहीं खेल बिगड़ न जाए। पिछले कुछ दिनों के दौरान आप-कांग्रेस में गठबंधन की कोशिशें भी हुईं लेकिन सीट शेयरिंग पर बात नहीं सकी।

अब केजरीवाल के जेल से बाहर आने और सीएम पद से इस्तीफे के कदम को पार्टी राज्य में जरूर लेकर जाएगी। ये भी संभव है कि इससे पार्टी को जनता से सहानुभूति भी मिल जाए। वैसे भी दिल्ली के आस-पास स्थित हरियाणा के कई इलाकों में आप की पकड़ थोड़ी मजबूत जरूर है। ऐसे में अगर वहां की आवाम में स्वीकार्यता बढ़ी तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आप कहीं कांग्रेस का गेम ना बिगाड़ दे। फिलहाल कांग्रेस को भी अपनी रणनीति आम आदमी पार्टी को ध्यान में रखकर नए सिरे तैयार करनी होगी।

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