अलीगढ़
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले में भीड़ की हिंसा का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां प्रतिबंधित गोमांस की तस्करी के शक में शनिवार को एक वाहन को घेरकर उसमें आग लगा दी गई. उसमें सवार चार लोगों की बेरहमी से पिटाई की गई. इस हमले में दो पीड़ितों की हालत नाजुक बताई जा रही है. पुलिस ने 25 हमलावरों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया है. इस हमले के वीडियो के स्क्रीनशॉट सार्वजनिक कर स्थानीय लोगों से हमलावरों की पहचान में मदद मांगी है.
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, यह घटना अलीगढ़ के हरदुआगंज थाना क्षेत्र के पनेट्टी गांव के पास हुई. चार लोग एक वाहन में सवार होकर जा रहे थे. तभी एक समूह से जुड़े कुछ लोगों ने वाहन को रोक लिया. भीड़ ने मवेशी मांस की तस्करी का आरोप लगाते हुए वाहन को आग के हवाले कर दिया. इसके बाद चारों लोगों की बेरहमी से पिटाई कर दी. इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची. समय रहते हालात को काबू किया और पीड़ितों को भीड़ से बचाकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया.
पीड़ितों की पहचान अकील (35), नदीम (32), अकील (43) और अरबाज (38) के रूप में हुई है. चारों को गंभीर अवस्था में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों के अनुसार, इनमें से दो के सिर में अंदरूनी चोटें हैं. उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है. सर्कल ऑफिसर सर्जना सिंह ने बताया कि अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. वीडियो फुटेज और तस्वीरों के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है. इस मामले की जांच के लिए पुलिस की कई टीमें बनाई गई हैं.
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अमृत जैन ने बताया कि जब्त किए गए मांस के नमूने को मथुरा स्थित राज्य प्रयोगशाला भेजा गया है. इससे यह स्पष्ट हो सके कि मांस प्रतिबंधित मवेशी का था या नहीं. इस घटना के बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने अस्पताल पहुंचकर पीड़ितों से मुलाकात की है. इस हमले की कड़ी निंदा की है. विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में भीड़तंत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है. कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है.
पीड़ितों में से एक के परिजन ने हरदुआगंज थाने में लिखित शिकायत दी है. इसमें 12 नामजद और 25 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है. सभी आरोपियों का संबंध दक्षिणपंथी संगठनों से बताया जा रहा है. इसके साथ ही पुलिस ने चार घायलों के खिलाफ भी FIR दर्ज की है. इसमें उन पर भी भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराएं लगाई गई हैं. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है, लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या वीडियो और स्क्रीनशॉट जारी कर देने भर से आरोपियों को पकड़ पाना संभव होगा?