नई दिल्ली,
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बोलने की स्वतंत्रता पर टिप्पणी करते हुए एक शख्स के खिलाफ दायर FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता किसी शख्स को देश के नागरिक के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल या फिर आपत्तिजनक टिप्पणी करने की इजाजत या छूट नहीं देती है, खासकर जब कि वह शख्स देश का प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या सरकार का कोई अन्य मंत्री हो.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी मुमताज मंसूरी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए की. मुमताज मंसूरी ने अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की गुजारिश की थी. मुमताज मंसूरी पर आरोप है कि उन्होंने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ फेसबुक पोस्ट में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था.कोर्ट में जस्टिस अश्विनी मिश्रा और जस्टिस राजेंद्र कुमार ने मुमताज मंसूरी की अर्जी पर फैसला सुनाया.इस मामले में दर्ज FIR के मुताबिक, याचिकाकर्ता की फेसबुक आईडी से पीएम मोदी, गृह मंत्री और दूसरे केंद्रीय मंत्रियों के लिए बेहद अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था.