लखनऊ:
10 साल बाद एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में एक भी लोकसभा सीट पर सफलता नहीं हासिल हो पाई है। 80 की 80 सीटों पर बसपा की बुरी हार हुई है। चुनाव नतीजे आने के बाद बसपा की हार के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। इस बीच, सोशल मीडिया पर एक बार फिर मायावती के भतीजे आकाश आनंद की चर्चा शुरू हो गई है। आकाश आनंद को लोकसभा चुनावों से पहले मायावती ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। बसपा की रैलियों में आकाश आनंद ने अपना राजनीतिक कौशल दिखाना भी शुरू कर दिया था। वह अपने भाषणों में खासकर बीजेपी पर तगड़ा वार कर रहे थे। उन्होंने बीजेपी को आतंकवादियों की पार्टी तक करार दे दिया था। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ। इस बीच, मायावती ने आकाश आनंद को बसपा के नैशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटाकर सबको चकित कर दिया। माया ने भतीजे को पूर्ण परिपक्वता हासिल करने तक अपने उत्तराधिकारी की जिम्मेदारियों से भी मुक्त कर दिया।
यूपी के राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज है कि शायद मायावती ने चुनाव परिणामों को पहले ही भांप लिया था। उनको पता था कि बसपा के खराब प्रदर्शन का ठीकरा आकाश आनंद के सिर पर ही लोग फोड़ेंगे। इसलिए उन्होंने पहले ही भतीजे को मेन मोर्चे से हटाकर सुरक्षित कर दिया था। मायावती का उत्तराधिकारी बनने के बाद आकाश आनंद को लोकसभा चुनाव के रूप में बड़ी जिम्मेदारी मिली थी। बसपा की हार के बाद आकाश आनंद को लेकर लोग यही चर्चा करते कि सिर मुंडाते ही ओले पड़ गए। विपक्षी आकाश आनंद को इस बात को लेकर ट्रोल करते कि अपने पहले ही चुनाव में उन्होंने बसपा को रसातल में पहुंचा दिया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स लिख रहे हैं कि बुआ मायावती कुछ इस तरह अपने भतीजे की रक्षक बन गईं।
मुस्लिमों से माया ने जताई नाराजगी
आपको बता दें कि बसपा ने यूपी में सबसे ज्यादा 35 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था, पर उसका यह प्रयोग सफल नहीं साबित रहा। रिजल्ट आने के बाद मायावती ने मुस्लिम समाज से अपनी नाराजगी भी जताई। उन्होंने कहा कि इतना सब कुछ करने के बाद भी मुस्लिम समाज बसपा को समझ नहीं पा रहा है। आने वाले चुनावों में मुसलमान प्रत्याशियों को बहुत सोच समझकर बसपा टिकट देगी।
बसपा पर लगा है बीजेपी की बी टीम होने का ठप्पा
बसपा के कुछ नेताओं का कहना है कि आम जनता में यह संदेश चला गया है कि बसपा बीजेपी की बी टीम है। लोकसभा चुनाव में करारी हार के पीछे एक वजह यह भी रही। अपनी जनसभाओं में मायावती बीजेपी की जगह सपा और कांग्रेस के खिलाफ ही ज्यादा मुखर रहीं। वहीं, आकाश आनंद को अचानक से पद से हटाने का भी जनता के बीच शायद गलत संदेश गया। आकाश आनंद मुख्य रूप से बीजेपी को ही टॉरगेट कर रहे थे। उनको पद से हटाने की वजह से लोगों में यह संदेश भी गया कि मायावती ने बीजेपी का काम आसान कर दिया है।
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