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महाराष्ट्र में ठाकरे भाईयों में बढ़ रहे प्रेम ने बढ़ाई बीजेपी की बेचैनी, जान लीजिए क्यों साथ आना चाहते हैं राज-उद्धव?

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मुंबई:

महाराष्ट्र में निकाय चुनावों से पहले खेला की अटकलें हैं। ठाकरे ब्रदर्स के एक साथ आने की चर्चाओं ने बीजेपी को भी बैचैन कर दिया है। यही वजह है कि बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखकर बावनकुले कह रहे हैं कि जल्द ही राज ठाकरे के यहां चाय पीने के लिए जाऊंगा। विधानसभा चुनावों बीजेपी को जहां सबसे ज्यादा फायदा हुआ था तो भगवा दल के साथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी की बल्ले-बल्ले हो गई थी लेकिन अब महाराष्ट्र में जब स्थानीय निकाय चुनावों का बिगुल जल्द बजने की उम्मीद है तब सभी पार्टियों की नजर क्षेत्रीय मुद्दों के साथ मराठी मतों पर है। यही वजह कि केंद्र और राज्य की सत्ता पर काबिज बीजेपी डबल इंजन सरकार के बाद भी बेचैन है। महायुति सरकार में हाल ही मंत्री बने छगन भुजबल भी कह चुके हैं ठाकरे और पवार फैमिली को एक होना चाहिए।

क्या साथ आएंगे राज और उद्धव?
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने की अटकलें इसलिए लग रही हैं क्योंकि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों ही मराठी वोटों के विभाजन रोकना चाहते हैं हाल ही में राज ठाकरे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि महाराष्ट्र में पवार और ठाकरे ब्रांड हमेशा रहेगा। इसे खत्म नहीं किया जा सकता है। इसके बाद उद्धव ठाकरे की तरफ से एक अच्छी प्रतिक्रिया संजय राउत ने दी थी। सूत्रों का कहना है कि उद्धव की अगुवाई वाली शिवसेना यूबीटी अब हरहाल में मराठी मतों का विभाजन रोकना चाहती है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों उद्धव ठाकरे की पार्टी ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ (यूबीटी) और राज ठाकरे की पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ को तगड़ी चोट लगी थी। उद्धव जहां 20 सीट जीत पाए थे तो वहीं राज ठाकरे अपने बेटे अमित को भी नहीं जिता पाए थे।

गड़बड़ा सकता है BJP का गणित
महाराष्ट्र के एक्सपर्ट का कहना है कि राज और उद्धव के बीच बढ़ते प्रेम से बीजेपी की बेचैनी स्वभाविक है। शिवसेना को तोड़कर उद्धव ठाकरे से पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छीनने के बाद भी बीजेपी उद्धव ठाकरे को पूरी तरह तोड़ नहीं पाई है। पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छिनने के बाद भी लोकसभा चुनाव में 9 सांसदों को जीत दिला कर उद्धव ने अपनी ताकत दिखाई थी हालांकि विधानसभा में वह उतने सफल नहीं रहे लेकिन एमवीए में सबसे बड़ी पार्टी फि भी शिवसेना यूबीटी ही रही। जरूर उद्धव को ऐसा लगता होगा कि अगर मनसे ही साथ हो तो सीटों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बीएमसी चुनावों में मनसे और शिवसेना यूबीटी एक साथ आकर लड़े तो बीजेपी का गणित गड़बड़ सकता है। उद्धव के खेमे से सांसद संजय राऊत, विधायक आदित्य ठाकरे और अनिल परब गठबंधन के लिए बातचीत शुरू करने की अपील राज ठाकरे से की है। यही वजह है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र प्रदेश प्रमुख के लिए रवींद्र चव्हाण का नाम आगे कर दिया है। वे अभी कार्यकारी अध्यक्ष हैं।

क्या है बीएमसी का गणित?
मुंबई बीएमसी देश की सबसे समृद्ध और बड़े बजट वाला नगर निगम है। बीएमसी ने कुल सीटों की संख्या 227 है। बहुमत के लिए 114 सीटों की जरूरत होती है। 2017 के चुनावों में अविभाजित शिवसेना को 77 सीटें मिली थीं। बीजेपी को 82 और एनसीपी और कांग्रेस को12 31 सीटें मिली थीं। इसके अलावा एनसीपी को 9 और मनसे को सात सीटें मिली थीं। इसके अलावा एआईएमआईएम को 2 और छह सीटें मिली थीं। इससे पहले के चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी ने 28 सीटें जीती थीं।

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