उज्जैन ।
उज्जैन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन की सर्वोत्तम मार्गदर्शिका है। उन्होंने देशभर के शिक्षकों, अभिभावकों और नीति-निर्माताओं से अपील करते हुए कहा कि “हर बच्चे के बस्ते में गीता हो”, ताकि आने वाली पीढ़ी जीवन के मूल्यों और अनुशासन से प्रेरित हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के समय में बच्चे शिक्षा, प्रतिस्पर्धा और डिजिटल दुनिया के दबाव के बीच संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में गीता के श्लोक और उसका दर्शन मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सही निर्णय क्षमता विकसित करने में अत्यंत सहायक हैं।
उन्होंने कहा कि गीता पढ़ने से बच्चों में कर्तव्यनिष्ठा, धैर्य और सकारात्मक सोच विकसित होती है। कार्यक्रम में देश-विदेश से आए संतों, विद्वानों और प्रतिनिधियों ने गीता के महत्व पर अपने विचार रखे। महोत्सव के दौरान भव्य श्लोक-पाठ, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और आध्यात्मिक प्रवचन आयोजित किए गए। उज्जैन के महाकाल क्षेत्र में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष बना दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश सरकार शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में गीता अध्ययन के लिए विशेष गतिविधियाँ और प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएँ। महोत्सव का समापन गीता के सार्वभौमिक संदेश — “कर्म करो, फल की चिंता मत करो” — के साथ हुआ, जिसका सभी उपस्थित जनों ने उत्साहपूर्वक अनुमोदन किया।
