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Friday, November 14, 2025
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हमरा पे भरोसा काहे नइखे! बिहार में कांग्रेस को क्यों करनी पड़ी ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’, जानें

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पटना

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार विधानसभा में 12 फरवरी को बहुमत साबित करने वाली है। विधानसभा के आंकड़ों को देखें तो साफ लगता है कि सत्ताधारी गठबंधन बहुमत का आंकड़ा आसानी से पार कर लेगा। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस स्थिति में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस को अपने अधिकांश विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट करने की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल, नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में शामिल होने के बाद भाजपा ने दावा किया था कि कांग्रेस के 10 विधायक उनके संपर्क में हैं। कुछ दिनों के बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। नीतीश कुमार के एनडीए में फिर से जाने के बाद महागठबंधन में शामिल दलों की सबसे बड़ी चुनौती न केवल गठबंधन में एकजुटता बनाए रखने की है, बल्कि, अपने दलों को बिखराव से रोकना भी है।

Trulli

‘रिस्क लेने से बच रही कांग्रेस’
बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार सुरेंद्र किशोर भी कहते हैं कि कांग्रेस को अपने विधायकों के पाला बदलने का डर सता रहा होगा, इस कारण उन्हें अन्य जगहों पर भेज दिया गया। क्योंकि, कुछ ही समय के बाद लोकसभा चुनाव भी होने वाले हैं, ऐसी स्थिति में विधायकों का पाला बदलने का खतरा सबसे अधिक होता है। आज की राजनीति में विधायकों के पाला बदलने की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस स्थिति में कोई भी ‘रिस्क’ लेने से कांग्रेस बच रही है और पार्टी में एकजुटता भी साबित कर रही है।

19 में से 16 विधायक हैदराबाद में
बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं, जिनमें से 16 विधायकों को रविवार को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया गया है। हैदराबाद नहीं गए कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ सौरव का भी मानना है कि अभी कोई कारण समझ में नहीं आता है कि विधायकों को क्यों ले जाया गया? उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है कि सरकार बनी है, इसलिए घुमाने ले गए होंगे। मेरी समझ से अभी कोई कारण नहीं लगता है कि विधायकों को ले जाया जाए।

एनडीए के पास बहुमत- कांग्रेस विधायक
विधायकों के टूटने की आशंका से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि टूट की संभावना या प्रयास तब होता है, जब बहुमत नहीं हो। एनडीए के पास बहुमत है और ये कोई अभी की बात नहीं है, इससे पहले भी जदयू जिधर गई, उधर बहुमत हो गया। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कांग्रेस को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है। ऐसे भी कांग्रेस के विधायकों को अब उस पार्टी में अपना भविष्य सुरक्षित नहीं लगता होगा तो वे नया ठिकाना तलाश करेंगे ही।

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