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नेपाल के लिए सफेद हाथी बने चीनी विमान, प्लेन से भी महंगा हुआ उड़ाना, ड्रैगन के जाल में फंसा एक और पड़ोसी

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काठमांडू

भारत के पड़ोसी देश नेपाल ने बड़ी उम्मीदों से चीन के विमानों को खरीदा था। नेपाल को उम्मीद थी कि इन्हें संचालित करके वह संकटों से गुजर रही नेपाल एयरलाइंस कॉर्पोरेशन के लिए रेवेन्यू कमा सकता है। लेकिन दो साल से अधिक बीत चुका है और चीन के लग्जरी विमान नेपाल के आसमान के बजाय जमीन पर ही खड़े हैं और जंग खा रहे हैं। चिंता की बात यह है कि बिना किसी कमाई के बाद भी देश का वित्त मंत्रालय इन विमानों के लोन के ब्याज का भुगतान कर रहा है। राष्ट्रीय एयरलाइंस पहले से ही मुश्किल वक्त से गुजर रही है और ऐसे में चीन के ये विमान उसके लिए गले की हड्डी बन गए हैं जिन्हें अब न निगलते बन रहा है और न उगलते।

Trulli

काठमांडू पोस्ट के अनुसार, चीन के प्लेन की पहली खेप 2014 में आई थी और इनका संचालन विमानों की कीमत से भी महंगा है। नेपाल एयरलाइंस गंभीर रूप से घाटे से गुजर रही है। जुलाई 2020 में कॉर्पोरेशन के बोर्ड ने तंग आकर इन विमानों को स्टोरेज में खड़ा करने का फैसला किया। पांच बेकार प्लेन, जिनमें तीन 17-सीटर Y12e एयरक्राफ्ट और दो 56-सीटर MA60 एयरक्राफ्ट हैं, काठमांडू में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पूर्वी हिस्से में सुदूर पार्किंग में खड़े किए गए हैं।

जंग से सुरक्षा के लिए पैदा होता है खतरा
एक दूसरा विमान नेपालगंज में क्रैश हो गया था और अब उड़ने की हालत में नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार विमान की तस्वीरों में देखा जा सकता है कि Y12e का पिछला हिस्सा काई से ढका हुआ है। इतना ही नहीं प्लेन के कई हिस्से, जो धातु के बने हैं, अब जंग खाने लगे हैं। नाम न बताने की शर्त पर नेपाल एयरलाइंस के एक सीनियर कैप्टन ने बताया, ‘ये विमान जंग के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं।’ जंग प्लेन के धातु और उसके हिस्सों को कमजोर कर देता है जिससे न सिर्फ सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है बल्कि इनका रखरखाव भी बेहद महंगा है।

कब तक उड़ेंगे विमान नहीं पता
कैप्टन ने कहा कि किसी ने यह नहीं देखा कि प्लेन किस स्थिति में हैं। किसी को नहीं पता कि ये प्लेन और कितने साल तक इसी तरह जमीन पर खड़े रहेंगे। कुछ प्राइवेट एयरलाइंस के अधिकारियों का कहना है कि पार्क किए गए विमानों के साथ लंबे समय तक स्टोरेज की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। अंततः इससे विमानों के मूल्य में गिरावट आएगी। नवंबर 2012 में नेपाल एयरलाइंस ने छह एयरक्राफ्ट्स के उत्पादन के लिए चीनी सरकार की एविएशन इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना (AVIC) के साथ एक कमर्शियल एग्रीमेंट पर साइन किए थे।

चीन के जाल में फंसा नेपाल
डील को आसान बनाने के लिए चीन ने नेपाल को करीब 6.67 अरब रुपए का लोन दिया। कुछ राशि में से 2.94 अरब रुपए से एक MA60 और एक Y12e विमान का भुगतान किया गया। अन्य विमान 3.72 अरब रुपए से खरीदे गए। चीन की EXIM Bank ने इसके लिए लोन मुहैया कराया था। डील के अनुसार नेपाल सरकार को 1.5 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज और वित्त मंत्रालय की ओर से लिए गए कुल लोन का 0.4 फीसदी सर्विस चार्ज और मेंटेनेंस खर्च का भुगतान करना पड़ता है।

 

 

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