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साईं का मालिक कौन? इनकी पूजा हिंदुओं को बांटने की साजिश… शंकराचार्य की इन बातों पर जब मचा हल्ला

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नरसिंहपुर

हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने 99 साल की उम्र में अंतिम सांस ली है। सोमवार की शाम पांच बजे उन्हें समाधि दी जाएगी। शंकराचार्य स्वारूपनंद सरस्वती हर मुद्दे पर बेबाकी से राय रखते हैं। उनके बयानों पर तूफान आ जाता है। मंदिरों में साईं की मूर्ति का विरोध करते थे। साथ ही उनका कहना था कि यह हिंदू धर्म को विभाजित करने की साजिश है। साईं के विरोध को लेकर उनके भक्तों ने शंकराचार्य का विरोध खूब किया था। इसके साथ ही वह आखिरी सांस तक अपनी बातों पर अड़े रहे हैं। यही नहीं उन्होंने एक बार एक पत्रकार को थप्पड़ भी जड़ दिया था। राम मंदिर मुहूर्त को लेकर भी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने सवाल उठाया था। आइए बताते हैं कि उनसे जुड़े कुछ विवाद।

धार्मिक मुद्दों को लेकर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती काफी सजग रहते थे। वह शिर्डी वाले साईं की पूजा के खिलाफ थे। 2014 में उन्होंने बयान दिया था कि साईं की पूजा हिंदू धर्म के खिलाफ है। शंकराचार्य यही नहीं रुके थे, उन्होंने कहा था कि साईं की पूजा करने वाले लोग भगवान राम की पूजा नहीं करें, गंगा-यमुना में स्नान नहीं करें। इसके साथ ही उन्हें हर-हर महादेव की जाप भी नहीं करनी चाहिए।

साईं का मालिक कौन?
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि शिर्डी वाले साईं कहते हैं कि सबका मालिक एक। शंकराचार्य ने पूछा था कि सबका, मालिक और एक का मतलब क्या है। उन्होंने कहा था कि सबका मतलब ये हो सकता है कि सभी धर्म के मालिक लेकिन बौद्ध और जैन धर्म के लोग ईश्वर को नहीं मानते हैं। उन्होंने सवाल किया था, इन सबमें शिर्डी का साईं बाबा आता है कि नहीं। उनका भी कोई मालिक होगा। मैं उनसे पूछता हूं कि उनका मालिक कौन है। अगर वह निराकार हैं तो मंदिर क्यों बना। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उनके भक्तों से पूछा था कि हमें बताओं कि उनका मालिक कौन हैं।

शंकराचार्य ने उस वक्त कहा था कि साईं पूजन से राम मंदिर की मुहिम कमजोर पड़ जाएगी। स्वरूपानंद सरस्वती इस्कॉन मंदिर का भी विरोध करते थे। वह कहते थे कि भारतीय हिंदुओं को डायवर्ट करने की कोशिश है। 2014 में शंकराचार्य ने ब्रिटेन की एजेंसी का हवाला देते हुए कहा था कि राम मंदिर के कारण हिंदू लोग एकजुट हो रहे हैं। इसी वजह से साईं की भक्ति के नाम पर बांटने की साजिश है।

सच्चा मुसलमान वहां कहां जाएगा
विरोध के बीच उनसे सवाल किया गया था कि साईं के दर पर सभी लोग जाते हैं। उनका विरोध कैसे करेंगे। इस पर शंकराचार्य ने कहा था कि यह भ्रम पैदा किया गया है कि वह हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं। मुस्लिम तो मूर्ति की पूजा नहीं करते तो वे मंदिर के अंदर क्यों जाएंगे। सच्चे मुसलमान तो वहां जाते नहीं फिर आप कैसे कह सकते हैं कि वह हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं। वह हिंदू नहीं थे। हमारे मंदिरों में एक मुसलमान की मूर्ति रखी जा रही है। अगर हम नहीं रोकते हैं कि कुछ दिनों में मरियम की भी मूर्ति आ जाएगी।

हनुमान जी की पूजा करें
उस समय शंकराचार्य ने कहा था कि आप इनकी पूजा नहीं करें। अगर आप हिंदू हैं तो हिंदू धर्म का पालन कीजिए। आप मिलावट क्यों करते हैं। आपको कोई चाहत है तो आप सिर्फ हनुमान जी की पूजा करें। हमारे धर्म को छोड़कर आप साईं की पूजा करें। अब लोगों को पता चलेगा कि हम इनका विरोध कर रहे हैं।

नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद शुरू किया था विरोध
दरअसल, 2014 में नरेंद्र मोदी की केंद्र में सरकार बनी थी। जुलाई 2014 में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने पुरजोर तरीके से साईं मंदिर विवाद को तूल दिया था। इसके बाद पूरे देश में साईं भक्तों ने उनका विरोध शुरू कर दिया था। साथ ही उनके खिलाफ देश में कई जगहों पर केस भी दर्ज किया गया था। वहीं, महाराष्ट्र में उनका पुतला भी फूंका गया था। शंकराचार्य ने साईं ट्रस्ट के लोगों को चुनौती थी कि हमारे साथ आकर तर्क वितर्क करें।

पत्रकार को जड़ दिया था थप्पड़
साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले जबलपुर में उनसे एक पत्रकार ने सवाल किया था कि नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल में प्रधानमंत्री कौन बन सकता है। इस पर उन्होंने पत्रकार को थप्पड़ जड़ दिया था। उनका यह वीडियो खूब वायरल हुआ था। इस पर कांग्रेस ने कहा था कि उनसे सियासी सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को कांग्रेस का समर्थक माना जाता है।

राम मंदिर मुहूर्त पर सवाल
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब राम मंदिर की नींव रखने की तारीख तय हुई तो इसका भी स्वरूपानंद सरस्वती ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि मंदिर निर्माण के लिए यह अशुभ मुहूर्त है। इसके साथ ही उन्हें राम मंदिर ट्रस्ट में उन्हें नहीं रखा गया था।

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