नई दिल्ली,
दिल्ली हाई कोर्ट शराब घोटाला केस में सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. वकील वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और एन हरिहरन और विक्रम चौधरी कोर्ट में केजरीवाल की ओर से पेश हुए. सीबीआई की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर डीपी सिंह पेश हुए. अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की शुरुआत की. उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि मामले में आज अदालत अपना फैसला सुरक्षित रखेगी.’
सिंघवी ने अपनी दलील में कहा, ‘सीबीआई के पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सबूत नहीं हैं. उसे ये लगा की ED मामले में वह जेल से बाहर आ सकते हैं, इसलिए सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तारी किया. आज मैं अदालत से सीबीआई के मामले में केजरीवाल की जमानत की मांग कर रहा हूं. जबकि ये PMLA का भी मामला नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के दो आदेश ‘ये बताते हैं कि अरविंद को रिहा होना चाहिए. वह इसके हकदार हैं. उनके देश छोड़कर जाने का खतरा नहीं है.’
सिंघवी ने अपनी दलील में कहा, ‘दो साल पहले सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी. 14 अप्रैल 2023 को केजरीवाल को समन मिला. लेकिन वह गवाह के तौर पर था. 16 अप्रैल, 2023 को उनसे 9 घंटे पुछताछ हुई. 21 मार्च, 2024 से पहले सीबीआई ने उन्हें कभी नहीं बुलाया. उसके बाद ED ने गिरफ्तार किया. यह रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामला है, क्योंकि केजरीवाल के खिलाफ सीबीआई ने एक साल तक कुछ नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ईडी मामले में अंतरिम जमानत दी. वह 2 जून को वापस तिहाड़ जेल गए. सीबीआई की गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है.’
अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा, ‘ईडी मामले में निचली अदालत ने अरविंद केजरीवाल को जमानत दी. उसके बाद उन्हें वेकेशन जज के समक्ष पेश किया गया. 26 जून को सीबीआई एक्टिव हुई और केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. ED मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुझे एक बार फिर अंतरिम जमानत दी है. लेकिन सीबीआई के इस इंश्योरेंस अरेस्ट की वजह से अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आ सके हैं. मकसद किसी भी तरह से उनको जेल में रखने का है. दो साल के बाद अचानक सीबीआई उनकी गिरफ्तारी करती है.’
उन्होंने कहा, ‘सीबीआई ये नहीं बता पाई की आखिर गिरफ्तारी क्यों की गई. इस मामले में कानून के नियमों का उलंघन हुआ है. अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं, कोई आतंकवादी नहीं कि उन्हें जमानत न मिले. ED के मामले में निचली अदालत ने मुझे नियमित जमानत दी थी. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर 25 जून को एक अर्जी दाखिल की गई. पूरी अर्जी में सिर्फ एक आधार था, जिसे लेकर निचली अदालत ने सीबीआई को गिरफ्तारी की अनुमति दी. आर्टिकल 21 और 22 की इस मामले में अनदेखी हुई है. गिरफ्तारी का केवल एक आधार बताया गया कि वह सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं.