मुंबई
सोशल मीडिया में शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता संजय राउत से कथित बदसलूकी की खबरें चल रही हैं। रिपोर्टस के अनुसार, 26 दिसंबर को उद्धव ठाकरे के निवास मातोश्री में यूबीटी कार्यकर्ताओं की मीटिंग में गुस्साए कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ राउत पर हमला किया, बल्कि धकियाते हुए एक कमरे में ले गए और उन्हें बंद भी कर दिया। वरिष्ठ पत्रकार भाऊ तोरसेकर के पर्सनल ब्लॉग में यह दावा किया गया कि इस नोंकझोंक के दौरान उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे, मगर वह पूरे घटनाक्रम के दौरान खामोश रहे। बाद में कई मीडिया रिपोर्ट में भी इस घटना का जिक्र किया गया। भाऊ तोरसेकर के इस दावे का एनबीटी पुष्टि या समर्थन नहीं करता है। हालांकि भाऊ तोरसेकर के दावे और मीडिया रिपोर्टस के बाद भी शिवसेना (यूबीटी) की ओर से इस घटना के बारे में कोई खंडन या बयान नहीं आया है। उद्धव ठाकरे और संजय राउत भी खामोश हैं।
मातोश्री की मीटिंग में आखिर क्या हुआ?
मराठी पत्रकार भाऊ तोसेकर ने अपने वीडियो ब्लॉग में दावा किया कि 26 दिसंबर को बीएमसी चुनाव को लेकर यूबीटी पदाधिकारियों की मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें शाखा प्रमुख और विभाग प्रमुख के अलावा कई पदाधिकारी शामिल थे। इस बैठक में संजय राउत ने बोलना शुरू किया तो पदाधिकारी नाराज हो गए। यूबीटी पदाधिकारियों ने संजय राउत को चुप रहने की सलाह दी और हार के लिए उनके बड़बोलेपन को दोषी ठहराया। इसके बाद भी जब संजय राउत अपनी बात रखने के लिए अड़ गए तो कार्यकर्ताओं की नाराजगी बढ़ गई। सूत्रों के हवाले से भाऊ तोसेकर ने बताया कि कार्यकर्ताओं ने संजय राउत को जबरन ले जाकर मातोश्री के किसी कमरे में बंद कर दिया। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने नाराज कार्यकर्ताओं को नहीं रोका। संजय राउत कथित तौर पर कई घंटों तक एक कमरे में बंद रहे।
किस बात पर भड़के यूबीटी पदाधिकारी
रिपोर्टस के अनुसार, संजय राउत ने बीएमसी चुनाव में महाविकास अघाड़ी के साथ चुनाव लड़ने की वकालत शुरू की थी, जबकि पदाधिकारी चाहते थे कि पार्टी अपने दम पर चुनाव में किस्मत आजमाए। इस बात पर ही पार्टी पदाधिकारियों से उनका विवाद शुरू हो गया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा कि संजय राउत के बयानों के कारण ही विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार हुई है। इससे संजय राउत भी भड़क गए और उन्होंने भी चेतावनी के अंदाज में बोलना शुरू किया। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, यह नोंकझोंक मारपीट में बदल गई। बता दें कि विधानसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) की करारी हार के बाद से ही पार्टी कार्यकर्ता एमवीए छोड़ने की मांग कर रहे हैं। पार्टी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने बताया था कि यूबीटी आगे होने वाली बीएमसी चुनाव में शरद पवार की एनसीपी-एसपी और कांग्रेस से अलग लड़ सकती है। उन्होंने कहा था कि इस मामले में अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा।