नई दिल्ली
बीजेपी अनुसूचित जातियों तक पहुंचने के लिए एक बड़ा अभियान चला रही है। यह अभियान 11 जनवरी से शुरू होगा और दो हफ्ते तक चलेगा। इस अभियान का नाम ‘संविधान गौरव अभियान’ है। इसमें संविधान और डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान पर जोर दिया जाएगा। बीजेपी का कहना है कि यह अभियान संवैधानिक मूल्यों और अंबेडकर की विरासत को मजबूत करने के लिए है।
कांग्रेस के नैरेटिव का जवाब देने की तैयारी
यह अभियान उन जिलों में ज्यादा केंद्रित होगा जहां दलित आबादी ज्यादा है। बीजेपी नेता विनोद तावड़े इस अभियान के संयोजक हैं। यह अभियान कांग्रेस के उस दावे का जवाब माना जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमित शाह ने राज्यसभा में अंबेडकर का अपमान किया था। कांग्रेस ने भी ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान अभियान’ शुरू किया है। यह अभियान देश भर के हर ब्लॉक, जिला और राज्य में चलाया जा रहा है।
क्या है संविधान गौरव अभियान?
बीजेपी संविधान गौरव अभियान के जरिए बीजेपी संविधान और उसके रचयिता डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को लोगों तक पहुंचाना चाहती है। बीजेपी मोदी सरकार के उन कार्यक्रमों और योजनाओं का भी जिक्र करेगी जो संवैधानिक मूल्यों पर आधारित हैं और अंबेडकर की विरासत को मजबूत करते हैं। बीजेपी ने यह अभियान इसलिए शुरु करने का फैसला किया है, क्योंकि विपक्षी दलों ने उसपर देश के मार्गदर्शक दस्तावेज के मूल्यों को कमजोर करने के प्रयास का आरोप लगाया है। विपक्षी हमलों के बाद भाजपा ने खुद को संविधान के चैंपियन के रूप में पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
सूत्रों ने कहा कि बीजेपी सभी राज्यों की राजधानियों और अन्य शहरों में कुल मिलाकर कम से कम 50 कार्यक्रम आयोजित करेगी। स्थानीय स्तर पर भी पार्टी की ओर से कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
विपक्षी दल सरकार को घेर रही
विपक्षी इंडिया गठबंधन ने पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी द्वारा संविधान को कथित तौर पर कमजोर करने के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। यह ऐसा मुद्दा रहा, जिसकी वजह से बीजेपी को मतदाताओं के एक वर्ग का खासा नुकसान उठाना पड़ा था। बीजेपी के नेता भी मानते हैं कि इस कारण बीजेपी लोकसभा चुनाव में अपने बूते बहुमत हासिल करने में नाकाम रही।
संसद में भी हुई चर्चा
हाल ही में संपन्न संसद के शीतकालीन सत्र में भारत के संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा हुई थी। इस दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण के एक अंश को मुद्दा बनाया और उन पर आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया। शाह ने विपक्षी दलों पर उनके भाषण को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने जोर देकर कहा कि यह कांग्रेस ही है, जिसने बार-बार आंबेडकर का अपमान किया है।