बेंगलुरु
प्यार और दुलार की भाषा पालतू पशु ही नहीं, खतरनाक जंगली जानवर भी समझते हैं। इसका नजारा आप बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क में देख सकते हैं, जहां लाए गए शेर और तेंदुए के शावक सावित्री अम्मा का इंतजार करते हैं। सावित्री अम्मा जब इन शावकों के पिंजड़े में एंट्री करती है तो नन्हें शावक उनकी ओर दौड़े चले आते हैं। अम्मा भी उनसे बच्चों की तरह लाड करती है। उनकी गोद और कंधे पर उछलते-कूदते शावक गलती से भी उन पर हमला नहीं करते हैं। वह अभी तक शेर, बाघ और तेंदुओं के कुल 80 शावकों को अपनी सेवा से नई जिंदगी दे चुकी हैं।
पति की मौत के बाद बनी केयरटेकर
जू प्रशासन के मुताबिक, सावित्री अम्मा का पति पहले जानवरों के केयरटेकर के तौर पर बायोलॉजिकल पार्क में काम करता था। पति की मौत के बाद उन्हें 2002 में अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली। पहले उन्हें साफ-सफाई की जिम्मेदारी दी गई, फिर जानवरों के हॉस्पिटल में उन्हें काम दिया गया। इसके बाद वह कई जानवरों के लिए मां जैसी हो गई। 47 साल की सावित्री अम्मा तेंदुए के अनाथ शावकों की देखभाल करती हैं। वह बच्चों की तरह नन्हें शावकों को खाना खिलाती हैं। उनका मालिश करती है और फिर सुलाती भी हैं। उनकी देखभाल के कारण दुर्बल और जख्मी शावक 6 महीने में इतने चंगे हो जाते हैं कि उन्हें आसानी से सफारी में शिफ्ट किया जाता है।
शावक जू से जाते हैं तो रोती है अम्मा
सावित्री अम्मा भी इन पशुओं के लिए काफी इमोशनल हैं। जब तेंदुए के शावकों को शिफ्ट किया जाता है तो वह उनके लिए भावुक क्षण होता है। एक मां की तरह उन्हें बच्चों की चिंता होती है। एक इंटरव्यू में सावित्री अम्मा ने कहा कि जब वह शावकों को नई जगह पर भेजने के बारे में सोचती हैं तो रोने का मन करता है। उन्हें टेंशन होती है कि जहां उन्हें ले जाया जा रहा है, वहां उनकी देखभाल कौन करेगा? अपनी फीलिंग को कंट्रोल करने के लिए शिफ्ट होने वाले दिन वह शावकों के बाड़े में झांकने तक नहीं जाती हैं। उन्हें तकलीफ होती है, फिर भी वह उनसे मिलने नहीं जाती हैं।
अनाथ पशुओं को मां जैसा लाड देती हैं
बता दें कि बेंगलुरू के पास बनाया गया बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क 731 हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसमें 102 प्रजातियों के 2,300 जानवर रहते हैं। पार्क के वेटिनरी हॉस्पिटल में कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों से पशुओं को इलाज के लिए लाया जाता है। इसमें अधिकतर चोटिल शावक होते हैं। उनमें ऐसे भी पशु होते हैं, जिनकी मां की मौत हो चुकी होती है। उनके जीने की संभावना कम होती है। इस जू के हॉस्पिटल में ऑपरेशन थिएटर, रेडियोलॉजी लैब और पोस्टमॉर्टम की सुविधा भी है। यहां पुनर्वास के लिए एक बड़ी टीम है, सावित्री अम्मा उसी का हिस्सा हैं।