19.8 C
London
Thursday, July 31, 2025
Homeराजनीतिएक देश चुनाव बिल पर बीजेपी का 'दोस्त' भी साथ नहीं, जेपीसी...

एक देश चुनाव बिल पर बीजेपी का ‘दोस्त’ भी साथ नहीं, जेपीसी की बैठक में विपक्ष के साथ उठाए सवाल

Published on

नई दिल्ली

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल पर संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक में जेडीयू और विपक्षी दलों ने बुधवार को बिल की व्यवहारिकता और कार्यान्वयन पर सवाल उठाए। यह बिल देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संसद के पिछले सत्र में पेश किया गया था। विपक्षी दलों के सदस्यों ने बिल की संवैधानिकता और संघवाद के मुद्दों को उठाया।

बीजेपी की सहयोगी पार्टी ने भी उठाए सवाल
वहीं बीजेपी की सहयोगी जेडीयू जानना चाहती थी कि अगर एक कार्यकाल में कई बार सरकारें गिरती हैं तो यह बिल चुनाव खर्च कैसे कम करेगा। वाईएसआरसीपी को ईवीएम के इस्तेमाल पर संदेह था और वह बैलेट पेपर पर वापस लौटने का सुझाव दे रही थी। संसदीय समिति की कार्यवाही गोपनीय होती है। बैठकों के दौरान सदस्यों के बीच हुई बातचीत का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जाता।

दो विधेयकों की जांच कर रही है जेपीसी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 39 सदस्यों वाली यह समिति दो विधेयकों की जांच कर रही है। पहला, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ करने के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक। दूसरा, केंद्र शासित प्रदेशों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए संबंधित अधिनियमों में संशोधन करने के लिए एक विधेयक ताकि एक साथ चुनाव कराए जा सकें। बुधवार को समिति को विधि मंत्रालय से संबंधित दस्तावेज और अभ्यावेदन मिले। एनडीए सदस्यों ने बिल का बचाव करते हुए कहा कि यह नया नहीं है और 1957 से प्रक्रिया में है।

समति के सदस्यों को मिली हजारों पेजों की रिपोर्ट
समिति के प्रत्येक सदस्य को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट की एक प्रति अंग्रेजी और हिंदी में दी गई। इसके साथ ही, अमेरिकन टूरिस्टर के लगेज केस में रिपोर्ट के हजारों पेजों की रिपोर्ट भी दी। इसके अलावा एक साथ चुनाव के मुद्दे पर पिछले विधि आयोग और संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्टें शामिल हैं।

विपक्षी दलों ने जताई आपत्ति
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का मानना है कि एक साथ चुनाव की अवधारणा संविधान और देश की संघीय संरचना के खिलाफ है। टीएमसी चाहती है कि समिति अपनी रिपोर्ट देने के लिए एक साल का विस्तार मांगे, क्योंकि पैनल जिस विषय की जांच कर रहा है, वह बहुत व्यापक है। टीएमसी ने सरकार के इस दावे का भी खंडन किया है कि अलग-अलग समय पर चुनाव होने से नीतिगत पक्षाघात होता है। टीएमसी का कहना है कि आदर्श आचार संहिता केवल उन राज्यों को प्रभावित करती है जहां चुनाव हो रहे हैं, अन्य राज्यों को नहीं।

समिति में विभिन्न दलों की अलग-अलग राय है। जेडीयू ने बार-बार सरकार गिरने की स्थिति में चुनाव खर्च को लेकर चिंता जताई है। वाईएसआरसीपी ईवीएम की जगह बैलेट पेपर के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। विपक्षी दल संविधान और संघवाद पर सवाल उठा रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि समिति अपनी अंतिम रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष निकालती है।

Latest articles

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप, 4 मीटर ऊंची सुनामी जापान में 20 लाख लोग निकाले गए

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप, 4 मीटर ऊंची सुनामी!...

भारी बारिश के चलते स्कूलों में बुधवार को अवकाश घोषित

भेल भोपालभारी बारिश के चलते स्कूलों में बुधवार को अवकाश घोषित,राजधानी भोपाल के स्कूलों...

भेल कर्मचारियों को वेतन के साथ मिलेगा पीपीपी बोनस

भेल भोपालभेल कर्मचारियों को वेतन के साथ मिलेगा पीपीपी बोनस भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड...

More like this

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बहस शाह का विपक्ष पर गुस्सा जानें क्या कहा राजनाथ सिंह ने

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बहस शाह का विपक्ष पर गुस्सा जानें क्या कहा...

PM MODI MANN KI BAAT: PM मोदी की मन की बात ज्ञान भारतम मिशन और देश की उपलब्धियों पर की चर्चा

PM MODI MANN KI BAAT: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो...

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को चेताया बिहार में ‘SIR’ प्रक्रिया पर विपक्ष चुप नहीं बैठेगा

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को चेताया: बिहार में 'SIR' प्रक्रिया पर विपक्ष चुप...