पुणे
एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर वे मराठी भाषा के संरक्षण के लिए कुछ काम करते हैं तो मामले दर्ज न करें। पुणे में विश्व मराठी सम्मेलन में बोलते हुए राज ठाकरे ने मंत्री उदय सामंत से कहा, ‘हम मराठी भाषा को संरक्षित करने के लिए सब कुछ करेंगे। लेकिन अगर हम कुछ चीजें करते हैं, तो हमारे खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘जब भी हम मराठी भाषा के लिए कुछ करते हैं, तो हमारे खिलाफ मामले दर्ज किए जाते हैं। लेकिन हम मराठी भाषा के लिए जो भी आवश्यक होगा, वह करना जारी रखेंगे।’
ठाकरे विश्व मराठी साहित्य सम्मेलन में बोल रहे थे। राज्य सरकार की ओर से आयोजित, साहित्यिक सम्मेलन फर्ग्यूसन कॉलेज के मैदान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के बाद यह पहला ऐसा आयोजन था। यहीं राज ठाकरे पहुंचे थे।
‘महाराष्ट्र में आकर कोई भी जमीन छीन लेता है’
यह कहते हुए कि मराठी भाषा और ‘मराठी मानुष’ का भविष्य खतरे में है, ठाकरे ने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश में, भले ही आप भारतीय नागरिक हों, आप जमीन नहीं खरीद सकते। लेकिन महाराष्ट्र में कोई भी आकर हमारी जमीन छीन सकता है। अगर हमारे अपने लोग हमारी ही भूमि में बेघर हो रहे हैं, तो हम इसे प्रगति नहीं कह सकते।’
बच्चों को मराठी सिखाने पर दिया जोर
एमएनएस प्रमुख ने माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को मराठी में बोलने के लिए कहें। उन्होंने कहा, ‘हमें अपने बच्चों को मराठी में बोलने और मराठी में सोचने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे एक-दूसरे से हिंदी में बात करते हैं। अगर हम अपनी भाषा का सम्मान नहीं करते हैं, तो दूसरे ऐसा क्यों करेंगे?’
पहचान को बताया खतरा
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा विकास का क्या फायदा अगर स्थानीय लोग इसके कारण विस्थापित होने जा रहे हैं? क्या यह वास्तव में विकास है? ऐसी ‘प्रगति’ स्थानीय लोगों को भूमिहीन बनाती है। यह महाराष्ट्र जैसे समृद्ध सांस्कृतिक समाजों की पहचान के लिए खतरा है।’
जमीन का उठाया मुद्दा
बड़ी विकास परियोजनाओं के लिए भूमि का आवंटन महाराष्ट्र के स्थानीय लोगों के कल्याण पर विचार करने के बाद ही किया जाना चाहिए। साथ ही, हिमाचल प्रदेश, असम और मणिपुर जैसे राज्यों में भूमि के टुकड़े खरीदना आसान नहीं है। हमारा राज्य और इसकी सरकार भूमि देने में इतनी उदार क्यों है? हजारों एकड़ जमीन इतनी जल्दी कैसे बिक जाती है? उन्होंने लेखकों और कवियों से भी समाज के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलने का आग्रह किया। ठाकरे ने कहा कि साहित्यिक कृतियों को जातिवाद के किसी पूर्वाग्रह के बिना देखा जाना चाहिए। राज ठाकरे ने कहा कि युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति को जानने और मराठी को एक भाषा के रूप में बढ़ावा देने के लिए पढ़ना चाहिए। अगर दूसरे राज्यों के लोग ऐसा करते हैं, तो महाराष्ट्रियों को क्यों हिचकिचाना चाहिए?