ढाका:
बांग्लादेश में शेख हसीना के जाने के बाद फैली अशांति और पाकिस्तान परस्त कट्टरपंथियों की बढ़ती ताकत भारत के लिए खतरा बन सकती है। खासतौर पर सिलीगुड़ी कॉरिडोर इस खतरे की जद में आ सकता है, जो पूर्वोत्तर के 8 राज्यों के लिए भारत का प्रवेश द्वार है। इस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषता ऐसी कमजोरी पैदा करती है, जिनका विरोधी तत्व फायदा उठा सकते हैं। हाल ही में सीमा पार से पकड़े गए संदिग्ध रेडियो सिग्नलों ने ये आशंका और बढ़ा दी है। ये बताता है कि बांग्लादेश के जिहादी पाकिस्तान की कुख्यात आईएसआई के साथ मिलकर भारत के खिलाफ नापाक मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं।
यह कॉरिडोर भारतीय क्षेत्र उत्तर बंगाल को असम से और नेपाल, भूटान और बांग्लादेश को क्रमशः पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से जोड़ता है। इसका सबसे छोटा विस्तार 20 किमी है, जो भारत-नेपाल सीमा पर नक्सलबाड़ी और भारत-बांग्लादेश सीमा पर फांसीदेवा के बीच है।
जेहादियों में सीधे लड़ने की हिम्मत नहीं
सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर परंपरागत खतरा नहीं है, क्योंकि आमना-सामना सामना हुआ तो भारतीय सशस्त्र बल मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता रखते हैं। असली खतरा अपरंपरागत है। बांग्लादेश के रास्ते अवैध घुसपैठ लगातार जारी है, जिसके चलते जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो रहा है। इसे सीमा पार से समर्थन मिल रहा है। बांग्लादेश से अवैध आप्रवास इस क्षेत्र के लिए शाप की तरह रहा है। इसने कस्बों और गांवों की आबादी में जातीय रचना को प्रभावित किया है।
पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकी खतरा
ट्रिब्यून इंडिया में लिखे एक लेख में लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा) प्रदापी बाली बांग्लादेश में शेख हसीना के जाने के बाद ढाका और इस्लामाबाद के बीच उभरते गठबंधन क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए अच्छा संकेत नहीं बताते हैं। हसीना के पतन के बाद उभरे कट्टरपंथी पाकिस्तान के साथ अपनी नजदीकी बढ़ाने में लगे हैं। सिलीगुड़ी कॉरिडोर समेत बांग्लादेश के साथ 4096 किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) निभाता है। उन्होंने कहा कि बीएसएफ खुद को बांग्लादेश और भारतीय गांवों और कस्बों में फंसा हुआ महसूस करता है।
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घुसपैठ से बढ़ रही मुश्किल
बांग्लादेश से अवैध रूप से घुसे लोग और उनके भारतीय समर्थक इन इलाकों में रहते हैं। इन लोगों के माध्यम से मानव तस्करी के साथ ही पशु और नशीली दवाओं की तस्करी का विरोध किया जाता है। पूर्व सैन्य अधिकारी ने इस कॉरिडोर पर ध्यान केंद्रित किए जाने पर जोर दिया और बीएसएफ को अधिक ताकतवर बनाने की बात कही। सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा खुफिया एजेंसियों का है, जिन्हें काम करना होगा। खुफिया विफलताओं से ही सारी शुरूआत होती है और एक-दूसरे पर दोष मढ़ने का खेल शुरू हो जाता है।