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संविधान तो दिखा गए कॉमेडियन कुणाल कामरा, लेकिन इसी किताब की धाराएं ‘कुछ भी बोलने’ पर रोक भी लगाती हैं!

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नई दिल्ली,

कॉमेडियन कुणाल कामरा अपनी ताजा पैरोडी को लेकर विवादों में घिर गए हैं. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर किए गए उनकी टिप्पणी पर शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ता भड़क गए. उन्होंने उस स्टूडियो को तोड़ दिया जहां पर इस प्रोग्राम की शूटिंग हुई थी. शिवसेना कार्यकर्ताओं की इस तोड़-फोड़ के बाद कुणाल कामरा ने एक नई पोस्ट की. कामरा ने एक तस्वीर पोस्ट की. उसमें वे हाथ में संविधान की एक प्रति लिए हुए हैं. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है, “यही एक मात्र रास्ता है.”

उनके पैरोडी वीडियो की तरह ये पोस्ट भी वायरल हो चुका है. कुछ ही घंटों में इस पोस्ट को 15 लाख लोग देख चुके हैं. लाल रंग के संविधान की ये छोटी सी कॉपी पिछले दिनों काफी चर्चा में रही है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पिछले दिनों में संविधान की ऐसी ही कॉपी के साथ दिखे थे. तब वे सरकार के खिलाफ संविधान बचाओ की मुहिम चला रहे थे.

संविधान के तहत क्या बोलने की नहीं है आजादी
कुणाल कामरा ने संविधान की तस्वीर पोस्ट कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि संविधान हमें बोलने की आजादी देता है. और उनकी अभिव्यक्ति संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल ही है. लेकिन देश का संविधान ही राजकाज चलाने में सहूलियत लाने के लिए नागरिकों के ‘कुछ भी बोलने पर’ रोक भी लगाता है.

आइए जानते हैं कि किन धाराओं के तहत हम क्या क्या नहीं बोल सकते हैं.
  • आजादी के बाद जब संविधान बना, तो संविधान निर्माताओं ने नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए. ये अधिकार अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक वर्णित हैं. इन्हें भारतीय संविधान का आधार माना जाता है. ये अधिकार नागरिकों को अलग-अलग स्वतंत्रताएं एवं सुरक्षा प्रदान करते हैं.
  • अनुच्छेद 19 के तहत भारतीय नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी यानी कि बोलने की स्वतंत्रता दी गई है.
  • वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब है कि एक भारतीय नागरिक लिखकर, बोलकर, छापकर, इशारे सा या किसी भी तरीके से अपने विचारों को व्यक्त कर सकता है.
  • लेकिन, अनुच्छेद 19 (2) में उन परिस्थितियों के बारे में भी बताया गया है जब बोलने की आजादी को प्रतिबंधित किया गया है.
  • ये परिस्थितियां हैं.
  • वैसे बयान जब भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो.
  • जब राज्य की सुरक्षा को खतरा हो.
  • जब किसी के बयान से विदेशी राज्यों से मैत्रीपूर्ण संबंध बिगड़ने का खतरा हो.
  • जब किसी के बयान से सार्वजनिक व्यवस्था के खराब होने का खतरा हो.
  • जब सार्वजनिक शालीनता या नैतिकता खराब हो.
  • जब किसी के बयान से अदालत की अवमानना हो.
  • जब किसी की मानहानि हो.
  • जब किसी के बयान से अपराध को बढ़ावा मिलता हो.

संविधान का यह हिस्सा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित करता है ताकि व्यक्तिगत अधिकारों का दुरुपयोग न हो और समाज व राष्ट्र के हितों की रक्षा हो सके. इसका अर्थ यह भी है कि कोई भी कानून मनमाना नहीं हो सकता और उसे न्यायिक समीक्षा के दायरे में रखा जा सकता है. इसलिए, अनुच्छेद 19(2) यह सुनिश्चित करता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूर्ण नहीं है और इसे कुछ निर्धारित आधारों पर सीमित किया जा सकता है. अगर आपकी किसी बात से या शब्द से या इशारे से इन सभी परिस्थितियों में से किसी एक का भी खतरा होता है तो बोलने की आजादी को प्रतिबंधित किया जा सकता है.

वहीं कुणाल कामरा का वीडियो सार्वजनिक होने के बाद शिवसेना विधायक मुर्जी पटेल ने कुणाल कामरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है.  एक अधिकारी ने बताया कि शिकायत के आधार पर एमआईडीसी पुलिस ने सोमवार तड़के कामरा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें धारा 353(1)(बी) (Statements conducing to public mischief) और 356(2) (Defamation) शामिल है. बता दें कि कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपने शो में बॉलीवुड की फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के गीत पर पैरोडी बनाया है. इस गीत के जरिये उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर तीखे कमेंट किए हैं. यही कमेंट शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं को ना

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