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Wednesday, August 27, 2025
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CBSE 12th Board Result 2025 के नतीजे घोषित, 88.39 फीसदी स्टूडेंट हुए पास

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नई दिल्ली

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की ओर से कक्षा 12वीं के नतीजे 2025 जारी हो गए हैं. परीक्षा में 88.39 फीसदी स्टूडेंट पास हुए हैं. विद्यार्थी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट cbseresults.nic.in और results.cbse.nic.in — पर जाकर रिजल्ट देख सकते हैं. इस वर्ष कुल मिलाकर 44 लाख से अधिक छात्रों ने बोर्ड परीक्षाएं दी हैं. कक्षा 10वीं की परीक्षाएं 18 मार्च को समाप्त हुई थीं, जबकि कक्षा 12वीं की अंतिम परीक्षा 4 अप्रैल को आयोजित की गई थी.

CBSE में पास होने के लिए कितने प्रतिशत अंक जरूरी
CBSE के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी छात्र को परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए कम से कम 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है. कक्षा 10वीं के लिए यह अंक कुल मिलाकर (यानी थ्योरी और आंतरिक मूल्यांकन को मिलाकर) देखे जाते हैं, जबकि कक्षा 12वीं में छात्रों को थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों में अलग-अलग न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक हासिल करने होते हैं. अगर कोई छात्र बहुत कम अंतर (जैसे 1 अंक) से पास नहीं होता है, तो बोर्ड की ओर से उसे grace marks यानी अतिरिक्त अंक देने का भी निर्णय लिया जा सकता है.

इन वेबसाइट्स पर मिलेगा सीबीएसई बोर्ड का रिजल्ट
CBSE ने छात्रों को सूचित किया है कि परिणाम घोषित होने के बाद वे अपना स्कोरकार्ड आधिकारिक वेबसाइट्स — cbse.gov.in, cbseresults.nic.in और results.cbse.nic.in — पर जाकर चेक कर सकते हैं. इसके अलावा छात्र अपने डिजिटल मार्कशीट और प्रमाणपत्र को DigiLocker ऐप के माध्यम से भी प्राप्त कर सकते हैं. बोर्ड छात्रों के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर SMS भेजकर DigiLocker लॉगिन आईडी और एक्सेस कोड साझा करेगा, जिससे वे आसानी से लॉगिन कर सकते हैं. इसी के साथ, UMANG ऐप और SMS सेवा के माध्यम से भी छात्र परिणाम प्राप्त कर सकते हैं.

स्कोर कार्ड में Relative Grading के अनुसार मिलेंगे ग्रेड
एक बड़ी बदलाव की बात करें तो इस बार से बोर्ड ने नई ग्रेडिंग प्रणाली ‘Relative Grading’ लागू की है, जो कि पुराने फिक्स्ड ग्रेडिंग पैटर्न से अलग है. पहले छात्रों को निश्चित अंकों की सीमा के आधार पर ग्रेड मिलते थे (जैसे 91–100 = A1), लेकिन अब छात्रों के ग्रेड उनके सहपाठियों के औसत प्रदर्शन के आधार पर तय किए जाएंगे. इसका उद्देश्य छात्रों पर पड़ने वाले शैक्षणिक दबाव को कम करना और प्रतिस्पर्धा को संतुलित करना है.

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