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Sunday, September 14, 2025
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रावण ने अपनी ही बहू के साथ किया ऐसा गलत काम, जिसका मिला बुरा अंजाम

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हम सभी जानते हैं कि रावण ने श्रीराम और लक्ष्मण की अनुपस्थिति में माता सीता का अपहरण किया था। लेकिन रावण कभी भी सीता माता के समीप नहीं गया और न ही उनको स्पर्श करने का प्रयास किया। जब भी मां सीता अपने हाथों में घास का तिनका उठा लेती थीं, तो रावण उसे देखकर भयभीत हो जाता था। इसके पीछे की वजह बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर क्यों रावण माता सीता का अपहरण करने के बाद भी उन्हें स्पर्श नहीं कर पाया था। कहा जाता है कि रावण को पहले के समय में एक शाप मिला था जिसके कारण वह किसी भी स्त्री को बिना उसकी मर्जी के स्पर्श नहीं कर सकता था। इसके पीछे अप्सरा रंभा और रावण की एक कथा छिपी हुई है। इस कथा को पढ़कर आप जान जाएंगे कि रावण ने अपनी ही बहू के साथ ऐसा क्या किया था कि वह किसी स्त्री को उसके बाद स्पर्श नहीं कर सका।

अप्सरा रंभा अपने सौंदर्य और रूप के लिए तीनो लोक में थी प्रसिद्ध
पुराणों के अनुसार, रंभा नाम की अप्सरा देवताओं और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं। रंभा स्वर्ग की बहुत प्रसिद्ध और अत्यंत खूबसूरत अप्सरा थी। इसी वजह से वह तीनों लोकों में जानी जाती थी। अप्सरा रंभा का सौंदर्य और आकर्षक चेहरा किसी भी मनुष्य को मोहित कर देने वाला था। साथ ही, रंभा को तमाम नृत्य और कई कलाएं आती थीं। रावण और कुबेर भाई थे और कुबेर के पुत्र का नाम नलकुबेर था। रंभा की शादी नलकुबेर से ही हुई थी। ऐसे में रंभा रावण की बहू लगती थी। लेकिन इस बात से रावण बिल्कुल अनजान था।

रंभा की सुंदरता पर कैसे मोहित हुआ रावण
एक बार विश्व विजय करने के बाद रावण जब स्वर्ग लोक गया तो उसकी नजर वहां रंभा पर पड़ी। अप्सरा की सुंदरता को देखकर रावण मोहित हो गया और कामातुर होकर रंभा को पकड़ने का प्रयास करने लगा। साथ ही, रावण ने रंभा से कुछ आपत्तिजनक सवाल भी किए। तब रंभा ने रावण को रिश्ते-नातों की याद दिलाई और उसे बताया कि वह रिश्ते में उसकी बहु लगती है। शुरुआत में रावण ने इस बात को मानने से इंकार कर दिया। जब रंभा ने नलकुबेर के बारे में बताया तब भी रावण ने किसी बात की परवाह नहीं की। ऐसे में अप्सरा भयभीत हो गई और वह यह जानती थी कि रावण देवताओं को भी जीत चुका है।

नलकुबेर ने दिया रावण को ऐसा बड़ा शाप
पुराणों और वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रावण ने रिश्ते नातों की परवाह नहीं की और रंभा से दुराचार किया। जब यह बात नलकुबेर के समझ आई तो वह क्रोधित हो गया और उसने रावण को शाप दिया कि अगर वह किसी भी महिला को उसकी मर्जी के बिना स्पर्श भी करता है, तो उसके दसों मस्तक के उसी समय टुकड़ों में फट जाएंगे। अपनी ही बहु रंभा के साथ दुराचार करने का रावण को ऐसा अंजाम मिला कि वह फिर कभी भी किसी परायी स्त्री को स्पर्श तक नहीं कर सका। यही कारण है कि माता सीता का अपहरण करने के बाद भी रावण उनके समीप भी नहीं जाता था और उन्हें दूर से ही लुभाने का प्रयास करता था।

द्वापर युग में हुआ था रंभा और ऋषि शेशिरायण का विवाह
पुराणों के अनुसार, द्वापर युग में अप्सरा रंभा का विवाह ऋषि शेशिरायण के साथ हुआ था। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण के परम शत्रु कालयवन के पिता ऋषि शेशिरायण हुआ करते थे। एक दिन मार्ग में उन्होंने जल में क्रीड़ा कर रही अप्सरा रंभा को देखा था। उसका रूप देखकर ऋषि अप्सरा की ओर आकर्षित हो गए और ऋषि शेशिरायण भी शिवजी के वरदान के चलते रुपवान थे। ऐसे में रंभा और ऋषि दोनों ही एक दूसरे पर मोहित हो गए। इसके बाद, दोनों ने विवाह कर लिया। कुछ समय बाद रंभा का एक पुत्र हुआ जिसका नाम कालयवन था। पुराणों के अनुसार, पुत्र को जन्म देने के बाद रंभा वापस स्वर्ग लौट गई थी।

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