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Thursday, July 31, 2025
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ट्रंप हैं मूडी, चीन पाले है खुन्‍नस… भारत पर मंडराने लगा है ये बड़ा खतरा, किसने क‍िया आगाह?

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नई दिल्‍ली

चीन को लेकर हाल में अमेरिका का झुकाव भारत के लिए टेंशन बना हुआ है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए यह और भी ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हो जाता है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को अचानक पाकिस्‍तान की अच्‍छाइयां दिखने लगी हैं। वह पाकिस्‍तान की तारीफ के कसीदे पढ़ रहे हैं। वहीं, भारत और चीन के संबंध पहले से ही बहुत अच्छे नहीं हैं। पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश, मालदीव और अन्‍य पड़ोसी देशों के जरिये वह भारत को घेरने में लगा है। आर्थिक मोर्चे पर भारत ही चीन का बड़ा प्रतिस्पर्धी है। यही उसकी सबसे बड़ी खुन्‍नस है। अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) की एक रिपोर्ट ने टेंशन बढ़ा दी है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका की ओर से लगाए जाने वाले संभावित जवाबी टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) के कारण इस वित्तीय वर्ष में भारत के व्यापार की स्थिति अनिश्चित है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का चालू खाता घाटा (CAD) बढ़कर जीडीपी का 1.2 फीसदी हो जाएगा। वित्त वर्ष 2024-25 में यह 0.9 फीसदी रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में व्यापार घाटे के बढ़ने के कारणों और सेवाओं के क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन पर भी प्रकाश डाला गया है।

भारत पर अनिश्चितता के बादल
चालू खाता घाटा तब होता है जब एक देश विदेश से ज्‍यादा सामान और सेवाएं खरीदता है। बजाय इसके कि वह विदेश को बेचता है। इस अंतर को चालू खाता घाटा कहा जाता है। यूबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2025-26 में चालू खाता घाटा बढ़कर जीडीपी का 1.2 फीसदी हो जाएगा, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में यह 0.9 फीसदी रहने का अनुमान है। अमेरिका की ओर से व्यापार भागीदारों पर जवाबी शुल्क लगाने की धमकी के कारण निर्यात की संभावना अनिश्चित बनी हुई है।’ बैंक ने बताया कि प्रस्तावित अमेरिकी शुल्क पर 90 दिनों की रोक के बावजूद खतरा अभी भी बना हुआ है। भारतीय निर्यात पर इसका असर पड़ सकता है।

अप्रैल 2025 में माल व्यापार घाटा बढ़कर 26.42 अरब डॉलर हो गया, जबकि मार्च 2025 में यह 21.54 अरब डॉलर था। यह अनुमानित 20 अरब डॉलर से काफी अधिक है। अप्रैल 2024 में दर्ज 19.19 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। व्यापार घाटे में इस बढ़त का कारण व्यापार में चल रही बाधाओं के बीच आयात में तेज बढ़ोतरी है। महीने-दर-महीने आधार पर आयात में 1.4 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई, जबकि निर्यात में 3.5 अरब डॉलर की गिरावट आई।

अमेर‍िका और चीन की करीबी बढ़ा रही टेंशन
बैंक की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब अमेरिका का रुख साफ नहीं है। वह चीन के साथ पाकिस्तान की तरफदारी करता हुआ दिख रहा है। यह भारत के लिए चिंता का विषय है। अमेरिका भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। उसके शुल्कों का सीधा असर भारत के निर्यात पर पड़ सकता है। वहीं, पाकिस्तान के प्रति अमेरिका का झुकाव भारत के लिए भू-राजनीतिक रूप से भी चिंताजनक है। खासकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए।

डर यह है कि अगर अमेरिका चीन के प्रति नरम रुख अपनाता है या पाकिस्तान का समर्थन करता है तो चीन भारत के प्रति और ज्‍यादा आक्रामक हो सकता है। आर्थिक मोर्चे पर भी चीन भारत के लिए एक बड़ा प्रतिस्पर्धी है। किसी भी तरह की बढ़ी हुई शत्रुता से व्यापार और निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

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