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चीन के सबसे बड़े दुश्मन ने मांग लिया PL-15 मिसाइल का मलबा, भारत ने सौंपा तो ड्रैगन हो जाएगा आग बबूला

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ताइपे

भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीनी PL-15 beyond-visual-range (BVR) एयर टू एयर मिसाइल को इंटरसेप्ट कर लिया था। जिसके बाद कई देशों ने चीनी मिसाइल की जांच के लिए भारत से उसका मलबा देने की मांग की है। अब चीन का सबसे बड़ा दुश्मन ताइवान, जो हमेशा चीनी हमलों की डर में जीता है, वो भी इस मिसाइल की जांच की मांग में शामिल हो गया है। माना जाता है कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपने जेएफ-17 या जे-10सी फाइटर जेट से चीनी PL-15 लॉन्ग रेंज मिसाइल को भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया था, जो अपने निशाने से चूक गया और भारत ने उसे करीब करीब सही सलामत बरामद कर सिया। लिहाजा अब ताइवान की कोशिश चीन के इस सबसे खतरनाक मिसाइल की खुफियां जांच करने की है, ताकि वो भविष्य के खतरों से पहले ही तैयार हो सके।

माना जाता है की PL-15 लॉन्ग रेंज मिसाइल को चीन ने अपने स्टील्थ फाइटर जेट जे-20 में भी इंटीग्रेट कर रखा है। इसके अलावा चीन ने अपने जे-10सी फाइटर जेट में भी इस मिसाइल को लगा रखा है। चीन के ये दोनों फाइटर जेट अकसर ताइवान स्ट्रेट में देखे जाते हैं। लिहाजा ताइवान अब इस मिसाइल को लेकर स्ट्रैटजी बनाना चाहता है। वो इस मिसाइल की कमजोरियों को समझना चाहता है, ताकि जवाबी रणनीति को तैयार किया जा सके।

ताइवान भी करना चाहता PL-15 की जांच
डिफेंस सिक्योरिटी एशिया की रिपोर्ट में ताइवान के एक वरिष्ठ क्षेत्रीय रक्षा अधिकारी ने कहा कि “पीएल-15 मिसाइल के टुकड़ों तक पहुंच सीधे तौर पर जवाबी उपाय विकसित करने या वर्तमान में अपने घरेलू स्तर पर उत्पादित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल कार्यक्रमों को बढ़ाने के ताइवान के प्रयासों का समर्थन करेगी।” सिर्फ ताइवान ही ऐसा देश नहीं है जो PL-15 मिसाइल की जांच करना चाहता है। बल्कि कई और ऐसे देश हैं, जिन्होंने भारत से इस मिसाइल को सौंपने का आग्रह किया है, ताकि वो इसकी जांच कर सके। कई पश्चिमी देशों ने भी भारत से इसका मलबा देने की मांग की है। इसके अलावा पश्चिमी देशों के खुफिया संगठन फाइव आईज गठबंधन, जिसमें अमेरिका के साथ साथ न्यूजीलैंड, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया हैं, उसने भी पीएल-15 मिसाइल की जांच के लिए भारत के साथ गुप्त रूप से सहयोग किया है।

डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है की पाकिस्तान पीएल-15 मिसाइल के भारत में कई डिफेंस प्लेटफॉर्म को टारगेट करने का दावा भले कर रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि ये मिसाइलें अपने टारगेट को हिट करने से बुरी तरह से चूक गई हैं। भारतीय अधिकारियों ने पंजाब के होशियारपुर के कमाही देवी गांव और भारत के उत्तरी क्षेत्र में कई अन्य प्रभाव स्थलों से पीएल-15 मिसाइलों के कई टुकड़े बरामद किए। चीन के लिए सबसे चिंताजनक बात ये है कि कुछ पीएल-15 मिसाइल नष्ट नहीं हुए हैं और कई हिस्से बिल्कुल सही सलामत हैं, जिससे उनकी जांच काफी आसानी से संभव है। भारत के हाथों में आने के बाद से पीएल-15 मिसाइल का अवशेष कई विदेशी एजेंसियों द्वारा तकनीकी खुफिया (TECHINT) संचालन का केंद्र बन गए हैं, जो विस्तृत फोरेंसिक जांच के लिए काफी उत्सुक हैं।

भारतीय डिफेंस सोर्सेस ने कहा है कि फ्रांस और जापान की पीएल-15 मिसाइल की जांच में दिलचस्पी दिखा रहा है और दोनों देशों ने भारत को प्रस्ताव भेजा है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA, NSA के साथ साथ कई और पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों का मानना है कि भारत के हाथ दुर्लभ चीनी मिसाइल लगा है। जिससे चीनी मिसाइल की क्षमता की जांच करने के लिए मूल्यवान मौका हाथ में है। जांच के दौरान पीएल-15 मिसाइल के रडार सीकर, डबल-पल्स प्रणोदन मोटर, ऑनबोर्ड डेटालिंक सिस्टम और नेविगेशन सिस्टम के बारे में कई अहम जानकारियां मिल सकती है। ऐसे में पीएल-15 मिसाइलों के खिलाफ एडवांस इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स (ईसीसीएम) बनाया जा सकता है, जिससे पश्चिमी देशों के जैमिंग सिस्टम को इस मिसाइल को ट्रैक करने और खत्म करने की क्षमता हासिल हो जाएगी।

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