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लद्दाख सीमा पर चीन के J-10 और JF-17 फाइटर जेट!…भारत-पाकिस्तान जंग में टेस्ट, बांग्लादेश के बहाने नया खतरा

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नई दिल्ली

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बाद अब एक नया खतरा दस्तक दे रहा है। बताया जा रहा है कि चीन के J-10 और JF-17 लड़ाकू विमान भारत के लिए पूर्वी सीमा यानी लद्दाख सीमा पर नया खतरा बन सकते हैं। दरअसल, चीन अब पाकिस्तान का इस्तेमाल भारत के खिलाफ अपने हथियारों को ‘टेस्ट’ करने के लिए कर रहा है। वह बांग्लादेश को भी इसीलिए आगे बढ़ा रहा है। ऐसी खबरें हैं कि चीनी अधिकारी बांग्लादेश में द्वितीय विश्व युद्ध के समय के एक हवाई अड्डे का निरीक्षण कर रहे हैं। यह हवाई अड्डा भारत के ‘चिकन नेक’ के करीब है। ‘चिकन नेक’ भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। आइए समझते हैं पूरी कहानी।

बांग्लादेश में एयरबेस मिलना भारत के लिए टेंशन
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चीनी सेना या वायु सेना को बांग्लादेश में किसी एयरबेस का एक्सेस मिल जाता है, तो यह भारत के लिए अच्छा नहीं होगा। इससे भारत के उत्तर पूर्व और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के रणनीतिक हितों को खतरा हो सकता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मलक्का जलडमरूमध्य के मुहाने पर स्थित हैं। यह चीन के लिए एक महत्वपूर्ण रास्ता है।

चीनी अधिकारी और पाकिस्तानी जासूस कर चुके हैं दौरा
भारतीय खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि चीनी सैन्य अधिकारी हाल ही में रंगपुर जिले का दौरा कर चुके हैं। रंगपुर जिला भारतीय सीमा से सिर्फ 20 किलोमीटर और सिलीगुड़ी से 130 किलोमीटर दूर है। सिलीगुड़ी भारत का एक महत्वपूर्ण सैन्य केंद्र है। इस साल जनवरी में, पाकिस्तान के एक बड़े जासूस ने भी रंगपुर जिले का दौरा किया था।

बांग्लादेश ने चीन को एयरबेस बनाने का दिया है न्यौता
बांग्लादेश ने चीन को लामोनिरहाट एयरबेस विकसित करने के लिए आमंत्रित किया है। अब, असम ट्रिब्यून ने भारतीय एजेंसियों के हवाले से कहा है कि चीनी अधिकारी लामोनिरहाट में द्वितीय विश्व युद्ध के समय के एयर बेस में रुचि रखते हैं। ढाका ने इस एयरबेस को फिर से चालू करने के लिए चीन से मदद मांगी है। यह प्रोजेक्ट मार्च 2025 में शुरू किया गया था। कभी लामोनिरहाट एशिया के सबसे बड़े हवाई क्षेत्रों में से एक था। इसे 1931 में एक सैन्य एयरबेस के रूप में बनाया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, मित्र देशों की सेनाओं ने यहां से बर्मा और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में मिशन चलाए थे।

भारत का चिकन नेक क्या है, इसे जानिए
भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में आठ राज्य (असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर और सिक्किम) शामिल हैं। इनमें से त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम की सीमाएं बांग्लादेश से लगती हैं। ये राज्य 22 किलोमीटर चौड़े सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे ‘चिकन नेक’ के नाम से जाना जाता है) के माध्यम से भारत से जुड़े हुए हैं। यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर तीन देशों से घिरा हुआ है- नेपाल, भूटान और बांग्लादेश।

भारत की तब चुनौतियां और बढ़ जाएंगी
यूरेशियन टाइम्स ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल आहूजा (रिटायर्ड) के हवाले से बताया है कि अगर बांग्लादेश PLAAF या PAF को एक्सेस देता है, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। चीनी सेना की वहां पर मौजूदगी समंदर तक असर डालेगी और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर भी असर पड़ेगा। इससे चीन हमारे अधिकांश उत्तर पूर्व तक पहुंच सकता है। इससे भारत की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। बंगाल की खाड़ी पर हमारी पकड़ कमजोर हो सकती है।

भारत के दुश्मनों के हाथों में चीनी हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2019 और 2023 के बीच पाकिस्तान के हथियारों के आयात में चीन की हिस्सेदारी लगभग 82 प्रतिशत थी। भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष में पहली बार कई तरह के चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। हाल के भारत-पाक सैन्य संघर्ष में इस्लामाबाद ने नए चीनी-निर्मित J-10C और JF-17 लड़ाकू विमानों पर बहुत भरोसा किया। पाकिस्तान के पास कई चीनी हथियार हैं, जिनमें PL-12 और PL-15 शामिल हैं। ये दोनों ही विजुअल रेंज से बाहर के लक्ष्यों को मार सकते हैं। पाकिस्तान ने HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम भी तैनात किया है, जो रूसी S-300 पर आधारित है। पाकिस्तानी सैनिक LoC पर लगातार चीनी-निर्मित SH-15 155mm माउंटेड गन सिस्टम (MGS) से फायरिंग कर रहे हैं।

बांग्लादेश को सबसे ज्यादा हथियार चीन से
बांग्लादेशी सेना के हाथों में चीनी हथियार कितना बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं। 2009 से, चीन ढाका को हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है। अनुमान है कि बांग्लादेश डिफेंस फोर्सेज के कुल हथियारों में चीनी हथियारों की हिस्सेदारी 82 प्रतिशत है। इनमें मिंग-क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन, शाधीनोटा-क्लास C13B कार्वेट, MBT-2000 टाइप 90-II और VT-5 लाइट टैंक, HQ-7 शॉर्ट-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल और 36 F-7BGI लड़ाकू विमान शामिल हैं। बीजिंग ने ढाका को विभिन्न चीनी छोटे और हल्के हथियार बनाने का लाइसेंस भी दिया है। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार है, जिसके इस्तीफा दिए जाने की अटकलें चल रही हैं।

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