MP : मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्णा जिलों में ज़हरीली कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ (Coldriff) पीने से 23 बच्चों की मौत के मामले में शुक्रवार को बड़ा घटनाक्रम सामने आया. पुलिस ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मा के मालिक गोवर्धन रंगनाथन को गिरफ्तार कर पारासिया कोर्ट में पेश किया. इस दौरान कोर्ट परिसर में वकीलों ने आरोपी के साथ धक्का-मुक्की की कोशिश की, और उसे मौत की सजा देने की मांग करते हुए जमकर नारेबाजी की. पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद रंगनाथन को कोर्ट में पेश किया.
23 बच्चों की मौत: आरोपी 10 दिन की रिमांड पर
छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्णा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण अब तक 23 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस मामले की जांच में पाया गया कि तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल कंपनी की घोर लापरवाही थी, जिसके बाद सरकार ने कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज की. पुलिस टीम ने कंपनी के मालिक गोवर्धन रंगनाथन को गिरफ्तार किया और शुक्रवार को पारासिया कोर्ट में पेश किया. प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट शैलेंद्र उइके की अदालत ने आरोपी को 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है.
कोर्ट परिसर में वकीलों का भारी हंगामा
आरोपी को पेशी के लिए जैसे ही कोर्ट लाया गया, परिसर में मौजूद वकीलों और आम लोगों ने तीव्र विरोध जताया. वकीलों ने रंगनाथन को घेर लिया और उनके साथ धक्का-मुक्की करने की कोशिश की. परिसर में “सुप्रीम कोर्ट मुर्दाबाद” (संभवतः कंपनी के पक्ष में किसी फैसले को लेकर नाराजगी) और “फाँसी दो” के नारे लगाए गए. भीड़ के आक्रोश को देखते हुए, पुलिस टीम को रंगनाथन को सुरक्षा घेरे में रखना पड़ा.
विशेष जांच दल कर रहा पूछताछ
पुलिस ने रंगनाथन को आज सुबह ही पुलिस विमान से नागपुर होते हुए पारासिया लाया था. फिलहाल, मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष जांच दल (SIT) रंगनाथन से पूछताछ कर रही है. पुलिस को उम्मीद है कि 10 दिन की रिमांड के दौरान कंपनी की लापरवाही की पूरी परतें खुलेंगी और यह पता चलेगा कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत के पीछे और कौन लोग शामिल थे.
Read Also: स्वच्छता ही सेवा विशेष अभियान, बीएचईएल झाँसी में साइकिल रैली एवं वॉकाथॉन का आयोजन
स्वास्थ्य मंत्री ने दिए कड़ी कार्रवाई के संकेत
स्वास्थ्य मंत्री ने पहले ही इस पूरे मामले में तमिलनाडु की फार्मा फैक्ट्री को जिम्मेदार ठहराया था और दोषियों को न बख्शने की बात कही थी. 23 मासूम बच्चों की मौत के बाद, आरोपी की गिरफ्तारी और उस पर जन आक्रोश साफ संकेत देता है कि यह मामला अब न्यायिक दायरे से बाहर जाकर सामाजिक न्याय का मुद्दा बन गया है.