यह वित्तीय संस्था इस लिये मजबूत रही कि जितने भी लोन या सहायता भेल कर्मचारी सदस्यों को मिली उसके वेतन से यह राशि काटकर भेल प्रशासन थ्रिफ्ट सोसायटी को भेजता रहा इसलिये भेल की अन्य सोसायटी का भट्टा तो बैठता गया लेकिन यह संस्था मजबूत बनी रही । भेल कर्मचारी जब इस संस्था का सदस्य बनता है तो तब वह भेल को लिखित मैं नहीं देता कि में इस संस्था का सदस्य बन रहा हूॅ भेल प्रशासन मेरे वेतन से पैसा काटकर थ्रिफ्ट सोसायटी में जमा करें ।
सूत्रों के मुताबिक एसा कोई दस्तावेज या एग्रीमेंट का उल्लेख नहीं है । रिकार्ड सिर्फ भेल प्रशासन के पास ही पे—स्लिीप के रूप में मौजूद है । भेल प्रशासन की सबसे बड़ी जवाबदारी यह है कि उसके पास इस संस्था से सहायता या ऋण लेने वाले कर्मचारी सदस्य के सारे लेनदेन की जानकारी पे—स्लिीप में मौजूद रहती है । इसमें अन्य बैंकों का लेनेदेन का हवाला रहता है । फिर कर्मचारी के परिवार के भरण पोषण से 50 प्रतिशत कि राशि छोड़ कर ही वेतन स्लिीप से काटी जाना चाहिये लेकिन भेल प्रशासन इस बात पर भी कभी भी गंभीर नहीं हुआ । इसका उदाहरण एक नहीं कई मिल जायेंगे ।
भेल किस नियम से वेतन काट रहा है या नहीं यह समझ से बाहर है उसे यह भी पता नहीं है कि इस मामले में उसे क्या कार्यवाही करना चाहिये और किस तरह की जांच करनी चाहिये जबकि उसके पास मानव संसाधन और लॉ— डिपार्टमेंट में करोड़ों का वेतन पाने वाले अधिकारी व कर्मचारियों की लंबी फौज है फिर जांच कराने से क्यों कतरा रहा है । क्या वह इस संस्था के कर्मचारियों कि राशि के प्रति जवाबदार नहीं हैं । भेल का मूकदर्शक बना रहना इस संस्था के लिये भारी नुकसान दायक साबित हो सकता है ।
मजेदार बात तो यह है कि कर्ज में डूबा इस संस्था का एक डायरेक्टर खुद 14 लाख का लोन लेकर बैठा है उसको ऋण कि राशि चुकाने के बाद कितना वेतन मिल रहा है न तो भेल ने समझी और न ही थ्रिफ्ट संस्था ने ऐसे कई डिफाल्टर हैं जिन्हें खुश करने के लिये संस्था के पास प्रर्याप्त राशि न होने के बाद भी दी जा रही है । ऐसे में संस्था की वित्तीय स्थिति के क्या हाल होंगे इसको आम सदस्य को समझना पड़ेगा तब ही हम इस संस्था को बचा पायेंगे । संचालक मंडल आज भी अपनी कुर्सी बचाने के बजाये संस्था बचाने की कोशिश करें । इसी में सभी 4500 सदस्यों की भलाई हैं ।
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इनका कहना है—
थ्रिफ्ट के अध्यक्ष बसंत कुमार का कहना है कि एसबीआई के होल्ड के बाद सदस्यों को सभी प्रकार के लोन और एफडी की राशि सदस्यों को वितरण करने की कार्यवाही शुरू हो गई है। बैंकों से संस्था का लेनदेन काम सुचारू रूप से चल रहा है व्यापारियों और सदस्यों के भुगतान पिछले 8 दिनों से चल रहा है। यह भुगतान अपेक्स बैंस व अन्य बैंकों से किये जा रहे हैं ।