भोपाल.
स्वास्थ्य विभाग के आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है। इन्हें न तो एरियर्स दिया जा रहा है, न ही पीएफ जमा किया जा रहा है। यही हाल भेल ठेका व सोसायटी श्रमिकों के भी हैं। इन श्रमिकों के वेतन से लम्बे समय अलग- अलग मद में कटौती की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग और बीएचईएल में चल रहे गड़बड़झाले की मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ रही समाजसेवी मृणालिनी सिंह सेंगर ने जांच कराने की मांग की है। सेंगर स्वास्थ्य कर्मियों, भेल ठेका श्रमिकों के साथ ही अन्य एजेंसियों के माध्यम से काम में लगे पीडि़तों को उनका हक दिलाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
भेल ठेका श्रमिकों के वेतन से की जा रही कटौती
भेल ठेका श्रमिकों के वेतन से लम्बे समय से 1600 रुपए की कटौती की जा रही है, जो उन्हें आज तक वापस नहीं की गई। साथ ही अन्य कटौतियां भी की जा रही हैं। श्रमिकों को एरियर्स, बोनस के साथ ही बीमा की सुविधा नहीं दी जा रही है। ओवर टाइम का भी पैसा नहीं दिया जा रहा है। 15 से 20 साल तक काम करने वाले श्रमिकों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल पा रहा है।
आउटसोर्स कर्मचारियों को नहीं मिल रहा न्यूनतम वेतन
स्वास्थ्य विभाग के आउटसोर्स कर्मचारियों को न तो एरियर दिया जा रहा है, न ही उनका पीएफ जमा किया जा रहा है। समाजसेवी और मजदूर नेता मृणालिनी सिंह सेंगर ने इसको लेकर क्षेत्रीय विधायक और स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत की है। इनका कहना है कि जिला अस्पताल में मजदूरों और सफाई कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल पा रहा है।
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मनमर्जी से वेतन दे रहे हैं। बैरागढ़ सिविल अस्पताल में भी यही रवैया अपनाया जा रहा है। 100 विस्तर वाले हथाईखेड़ा डैम के पास बने गोविंदपुरा अस्पताल में भी मजदूरों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। सेंगर का आरोप है कि भोपाल के आसपास के कई अस्पतालों का ठेका दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग में चल रहे गड़बड़झाले और श्रमिकों, सफाई कर्मचारियों को कलेक्टर रेट से भी कम दिए जा रहे वेतनमान की जांच कराने की मांग की है।