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Wednesday, July 2, 2025
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फर्जी रजिस्ट्री पर चला कलेक्टर का ‘हथौड़ा’, पटवारी से लेकर गवाह तक 7 लोगों पर गिरी गाज

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अशोकनगर

जिले में फर्जी रजिस्ट्री के एक मामले में बड़ा एक्शन हुआ है। कलेक्टर ने ईसागढ़ के उप पंजीयक, सर्विस प्रोवाइडर, विक्रेता और गवाहों समेत 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। यह कार्रवाई जनसुनवाई में आई एक शिकायत के बाद की गई। जांच में आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज भी फर्जी पाए गए हैं। शिकायतकर्ता ने 24 दिसंबर 2024 को कलेक्टर से शिकायत की थी।

दरअसल, लखन नाम के एक शिकायतकर्ता ने 24 दिसंबर 2024 को कलेक्टर से जनसुनवाई में फर्जी रजिस्ट्री की शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि 27 दिसंबर 2024 को एक जमीन का विक्रय पत्र क्रमांक MP47322024A 1142314 उप पंजीयक ईसागढ़ द्वारा जारी किया गया। विक्रय पत्र में विक्रेता सुरेश सिंह रघुवंशी पुत्र जगन्नाथसिंह रघुवंशी थे। क्रेता संतोबाई (शिकायतकर्ता लखन जाटव की पत्नी) और गीता बाई (सिद्धांत सिंह जाटव की पत्नी) थीं। दोनों क्रेता सूका पुत्र हल्कू की बेटियां हैं। शिकायतकर्ता का आरोप था कि मृत व्यक्ति की जमीन का विक्रय पत्र गलत तरीके से तैयार किया गया है। कलेक्टर आदित्य सिंह के निर्देश पर एसडीएम ईसागढ़ ने विक्रांत भोसले (पटवारी नईसराय) के माध्यम से उप पंजीयक, सर्विस प्रोवाइडर, क्रेता और अन्य के खिलाफ थाना ईसागढ़ में FIR दर्ज कराई है।

7 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
इस मामले में क्रेता सुरेश रघुवंशी पुत्र जगन्नाथ रघुवंशी, अज्ञात व्यक्ति (जो आधार कार्ड के अनुसार सूका जाटव पुत्र हल्कू निवासी ग्राम नयाखेड़ा चंदेरी है और जिसे विक्रेता के रूप में पेश किया गया), दीप सिंह पुत्र मंगल सिंह (जाति भील, निवासी धमना तहसील गुना, जो गवाह के रूप में दर्ज है), सूरसिंह पुत्र सुखलाल (जाति भील, निवासी धमना तहसील गुना, जो गवाह के रूप में दर्ज हैं), उप पंजीयक अजय प्रकाश लोधी, सर्विस प्रोवाइडर श्री हिमांशु सोनी और श्री मोलू उर्फ मोहित चतुर्वेदी शामिल हैं।

कलेक्टर के एक्शन से मचा हड़कंप
इन सभी की मिलीभगत और समान इरादे के चलते थाना ईसागढ़ में अपराध क्रमांक 189/2025 भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4), 319(2), 336(3), 338, 340 (2) एवं 61 के अंतर्गत उक्त 07 व्यक्तियों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। कलेक्टर के इस एक्शन से फर्जी रजिस्ट्री करने वालों में हड़कंप मच गया है। यह मामला दिखाता है कि सरकारी अधिकारी भी भ्रष्टाचार में शामिल हो सकते हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

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